पीएम मोदी ने आज बिजली कंपनियों को होने वाले नुक्सान पर बड़ा बयान दिया हैं। पीएम मोदी ने शनिवार को बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) के बढ़ते बकाया को एक आसन्न संकट के रूप में चिह्नित करते हुए “वोट के लिए रेवड़ियां” संस्कृति के अपने विरोध को और तेज कर दिया।
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इसी के साथ वितरण क्षेत्र के सुधारों और एनटीपीसी की अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं के लिए 3 लाख करोड़ रुपये के पैकेज की शुरुआत करते हुए उन्होंने बताया कि डिस्कॉम का उत्पादन कंपनियों पर 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक का बकाया है, क्योंकि उन्हें सब्सिडी नहीं मिली है। वहीं, सरकारी विभागों और स्थानीय निकाय के बिजली बिल का भी भुगतान नहीं हो रहा है।
पहले भी पीएम मोदी दे चुके है ऐसे बयान
वही, उन्होंने कहा कि भारत का बिजली क्षेत्र का घाटा दोहरे अंकों में है जबकि विकसित देश इसे एकल अंक में रखने में कामयाब रहे हैं। वितरण क्षेत्र के सुधारों के लिए एक पैकेज और नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड की अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं को लॉन्च करते हुए उन्होंने कहा, “इसका मतलब है कि हम बहुत अधिक बिजली बर्बाद कर रहे हैं और इसके कारण हमें अपनी जरूरत से ज्यादा उत्पादन करना पड़ रहा है।”
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हालांकि, उन्होंने राजनीति में रेवड़ी बांटने की संस्कृति (सब्सिडी कल्चर) के खिलाफ भी खूब सुनाया। वह इस महीने दूसरी बार इसके खिलाफ बोल रहे थे। इससे पहले उन्होंने 16 जुलाई को बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे का उद्घाटन करते हुए इसके खिलाफ बोला था। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को इस चेतावनी को तब और बढ़ा दिया जब मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई वाली बेंच ने इस मुद्दे पर सुझाव दिया कि वित्त आयोग उन राज्यों को धन के प्रवाह को विनियमित करने पर विचार करे जो सब्सिडी दे रहे हैं।