नीट-पीजी कोर्स (NEET-PG Course) में आर्थिक आरक्षण से संबंधित मामलों की सुनवाई स्थगित करने की मांग को लेकर एक अधिवक्ता ने प्रधान न्यायाधीश (CJI) एनवी रमण को पत्र लिखा है। पत्र में कहा कि इसकी सुनवाई दिन-प्रतिदिन आधार पर की जाए।
फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (फोर्डा) के नेतृत्व में पिछले कई दिनों से रेजिडेंट डॉक्टरों के चल रहे विरोध और सामूहिक इस्तीफे की धमकी पर प्रकाश डालते हुए, अधिवक्ता विनीत जिंदल की पत्र याचिका में कहा गया है कि बड़े पैमाने पर विरोध हो रहे हैं, क्योंकि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने NEET-PG काउंसलिंग में तेजी लाने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए हैं।
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याचिका में केंद्र को संबंधित डॉक्टरों से संबंधित मुद्दों के समाधान के लिए एक समिति बनाने और दिल्ली पुलिस आयुक्त को जांच शुरू करने और पुलिस द्वारा विरोध कर रहे डॉक्टरों पर हमले की घटना के दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश देने की भी मांग की गई है। अधिवक्ता जिंदल ने कहा, “डॉक्टरों के रूप मेंहमारे फ्रंटलाइन योद्धाओं के कोरोना के खिलाफ जंग के समय में रेजिडेंट डॉक्टरों के मुद्दों को जल्द से जल्द हल करना और उनकी मांगों को जल्द से जल्द पूरा करना महत्वपूर्ण है।”
याचिका में कहा गया है कि अनुच्छेद 19 और 21 के तहत भारत के संविधान का पालन करते हुए, प्रदर्शनकारी डॉक्टरों और इस देश के प्रत्येक नागरिक के जीवन और स्वतंत्रता को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी सुप्रीम कोर्ट के हाथ में है। हाल ही में, NEET-PG काउंसलिंग में देरी के विरोध को पांच राज्यों-राजस्थान, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और मध्य प्रदेश के डॉक्टरों ने समर्थन दिया है। डॉक्टर नीट-2021 पीजी काउंसलिंग में देरी को लेकर विरोध कर रहे हैं, जो अब आर्थिक आरक्षण पर याचिकाओं के एक बैच के परिणाम के लिए लंबित है। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई 6 जनवरी, 2022 को होगी।