पटना के डॉक्टर का गणपति के 2100 मूर्तियों का कलेक्शन आया सामने, जिसे देख सबकी आँखे रह गई फटी - Punjab Kesari
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पटना के डॉक्टर का गणपति के 2100 मूर्तियों का कलेक्शन आया सामने, जिसे देख सबकी आँखे रह गई फटी

पटना में शौक और आस्था का एक अनोखा संगम देखने को मिला है, जिससे हर कोई बिल्कुल दंग रह गया है। पटना में एक डॉक्टर है जो बप्पा की मूर्तियों को इकठ्ठा करने का शौक रखता है। गणपति बप्पा की मूर्तियों से डॉ. आशुतोष त्रिवेदी का पूरा क्लीनिक बेहद ही सुन्दर तरह से सज़ा हुआ हैं।

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डॉक्टर साहब से मिलने या इलाज करवाने आने वाले किसी भी व्यक्ति को मूर्तियों का संग्रह देखकर बहुत हैरानी हो जाती हैं। रोगमुक्त होने पर कोई मरीज भी उनको गिफ्ट के रूप में गणेश जी की मूर्ति दे जाते हैं। यह सब यहां सालों से होता आ रहा हैं। आपको बता दें कि आज के समय में डॉ. आशुतोष त्रिवेदी के पास मूर्तियों कि कुल संख्या 2100 हो गई हैं।

हर मूर्ति की सुबह शाम होती है पूजा

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इतना ही नहीं बल्कि उनके केबिन में ये सभी मूर्तियां बेहद अच्छे तरह से सज़ा कर रखी हुई होती हैं और वह रोजाना सुबह शाम इनकी पूजा अर्चना भी करते हैं। हर मूर्ति एक-दूसरे से अलग है, जो इस संग्रह का सबसे बड़ा गुण है। किसी मूर्ति में विघ्नहर्ता चूहे की सवारी कर रहे हैं, तो किसी में बप्पा चारपाई पर आराम करते नज़र आ रहे हैं।

केबिन में मौजूद है 1800 मूर्तियां

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पटना के बहुत फेमस दंत चिकित्सक डॉ. आशुतोष त्रिवेदी के क्लीनिक को गणेश क्लीनिक के नाम से भी जाना जाता हैं। जब आप उनसे मिलेंगे, आप 1800 के करीब गजानन की मूर्तियों को उनके केबिन में देखेंगे। जबकि उनके घर में भी 300 मूर्तियां मौजूद हैं। इन मूर्तिकला का आकार एक इंच से 7 फीट तक है-सोने चांदी से लेकर यहां पर पत्थरों से तराशी गई मूर्तियां का मौजूद हैं। डॉ. आशुतोष का कहना है कि इनमें दुबई, अमेरिका, फ्रांस, नेपाल, फिलीपींस, बैंकाक और देश के लगभग 20 से अधिक देशों में बनाई गई मूर्तियां हैं। इसमें केरल, गुजरात और मुरादाबाद की मूर्तियां भी है। कांसे की चावल की मूर्तियों, सात अनाज की मूर्तियों और बांस और नारियल से बनी गणेश की मूर्तियाँ भी बहुत सुंदर हैं।

कहां से हुई इस नए सिलसिले की शुरुआत?

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डा. आशुतोष ने बताया कि वे 2005-06 के दौरान मुंबई में ट्रेनिंग कर रहे थे। सिद्धिविनायक मंदिर से लौटने पर गणेशजी की मूर्ति उन्होनें खरीद ली। उन्होंने इसी क्लीनिक में उसे बहुत अच्छे से सजाकर रखना शुरू कर दिया। वे कहते हैं कि यह मूर्ति मुझे बहुत प्रसन्न करती थी और मेरे मन को बहुत सुकून मिलता था इस मूर्ति से। तब से मैं हर जगह गणेश की मूर्ति देखकर खरीद लेता था। यहीं से गणेश की मूर्तियों को कलेक्ट करने का सिलसिला शुरू हुआ। तब मूर्तियों को संग्रह करना मेरे लिए एक जुनून सा बन गया। अब मैं जहां भी गणेश की मूर्ति देखता हूँ उसे खरीद लेता हूँ, जो मेरे कलेक्शन से अलग होती है।

भगवान गणेश के हर अंग से मिलता है एक अनोखा संदेश

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डॉ. आशुतोष ने बताया कि जब उनके मन में भगवान गणेश को जानने की उत्सुकता हुई, तो वे उनके बारे में पढ़ने लगे। उनके अध्ययन से पता चला कि गणेश शुभता का प्रतीक हैं। इनके शरीर का हर अंग एक बहुत बड़ा मैसेज देता है। जैसे बड़ा सिर बड़े दिमाग को बताता है। बड़ा पेट बातों को पचाने मतलब अपने तक सिमित रखने का संकेत देता है। छोटी आंखें सूक्ष्म दृष्टि बताती हैं। नाक का विशेष रूप से इस्तेमाल करने का संकेत सूड़ है और चौड़े कान हमेशा सतर्क रहने का संकेत है। साथ ही छोटा मुंह कम बोलने का संकेत देता है। क्लीनिक के बाहर गणेश मंदिर है, जहां 12 साल से गणेश उत्सव काफी धूमधाम से मनाया जाता है।

 

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