केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भारत-चीन सीमा पर भारतीय सेना के शौर्य की तारीफ करते हुए कहा है कि 8 और 9 दिसंबर को भारत की सेना ने चीन के एक-एक सैनिकों को बाहर खदेड़ दिया। अमित शाह ने कांग्रेस के आरोपों पर पलटवार करते हुए कहा कि यह भाजपा और नरेंद्र मोदी की सरकार है और जब तक नरेंद्र मोदी की सरकार सत्ता में है तब तक भारत की एक इंच जमीन कोई हड़प नहीं सकता।
लद्दाख क्षेत्र से संबंधित सीमाएँ पश्चिमी भाग का हिस्सा
बता दें, भारत और चीन के बीच 3,500 किलोमीटर लंबी सीमा है। अरुणाचल और सिक्किम वाले हिस्से को पूर्वी भाग कहा जाता है, जबकि उत्तराखंड और हिमाचल वाले हिस्से को मध्य भाग कहा जाता है। दूसरी ओर, लद्दाख क्षेत्र से संबंधित सीमाएँ पश्चिमी भाग का हिस्सा मानी जाती हैं। लेकिन इस लंबी सीमा पर कई ऐसे इलाके हैं जहां चीन और भारत के बीच तीखी नोकझोंक होती रहती है। यह विवाद कई मौकों पर हिंसक रूप भी ले चुका है।
भारत का कोई नेता अरुणाचल प्रदेश का दौरा करता
लद्दाख को लेकर उठता रहता है ये विवाद अरुणाचल प्रदेश को लेकर भी चीन के दावे बड़े-बड़े हैं।चीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिणी तिब्बत मानता है। उनकी नजर में पूरा अरुणाचल प्रदेश चीन का हिस्सा है। इसी वजह से जब भी भारत का कोई नेता अरुणाचल प्रदेश का दौरा करता है या जब भी वहां विकास परियोजनाओं का उद्घाटन होता है तो चीन सबसे पहले प्रतिक्रिया देता है और उसे अपनी संप्रभुता से जोड़ता है।
तिब्बत कभी भी चीन का हिस्सा नहीं रहा
1950 में चीन ने तिब्बत पर कब्जा कर लिया। फिर दोनों देशों के बीच 17 सूत्री समझौते पर सहमति बनी। उसमें साफ कहा गया था कि तिब्बत के लोगों की अपनी अलग स्वतंत्र पहचान होगी, तिब्बत की राजनीतिक व्यवस्था में चीन कभी दखल नहीं देगा। लेकिन समय के साथ चीन ने कई मौकों पर इस समझौते का उल्लंघन किया और तिब्बत भी यह कहने लगा कि मजबूरियों के कारण चीन के साथ समझौता हुआ है और तिब्बत कभी भी चीन का हिस्सा नहीं रहा।