कांग्रेस पार्टी ने कहा कि भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के पास भारत को अंतरिक्ष में मजबूत बनाने का एक बड़ा विचार था। उन्होंने तय किया कि भारत यह काम दूसरे बड़े देशों की मदद के बिना अपने दम पर करेगा, हालांकि कुछ लोग इससे सहमत नहीं थे। और अब, भारत अंतरिक्ष की खोज में वास्तव में अच्छा प्रदर्शन कर रहा है। कांग्रेस पार्टी ने यह भी कहा कि कैसे पाकिस्तान की अपनी अंतरिक्ष एजेंसी है, लेकिन वह भारत की तरह अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रही है। भारत ने अपना अंतरिक्ष कार्यक्रम 1962 में शुरू किया था, जबकि पाकिस्तान ने बाद में शुरू किया और उसे उतनी सफलता नहीं मिली।
आत्मनिर्भरता पर जोर दिया था
रमेश ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, ‘‘इसरो की सफलता के पीछे की जिस मुख्य वजह को नहीं पहचाना जा रहा है, वह यह है कि नेहरू ने पहले दिन से ही आत्मनिर्भरता पर जोर दिया था, जबकि दिल्ली में कुछ आवाजें अधिक अमेरिकी भागीदारी की वकालत कर रही थीं। कुछ ऐसे भी लोग थे, जो तत्कालीन सोवियत संघ के साथ घनिष्ठ सहयोग की बात कर रहे थे। उन्होंने कहा कि लेकिन पहले नेहरू और फिर पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी इस बात को लेकर बिल्कुल स्पष्ट थीं कि अंतरिक्ष कार्यक्रम को भारतीय पेशेवरों द्वारा तैयार, नियंत्रित और संचालित किया जाना चाहिए।
इस तरह का निवेश करना घातक होगा
कांग्रेस नेता ने कहा कि इसके लिए वे होमी भाभा, विक्रम साराभाई, सतीश धवन, पी एन हक्सर और कई अन्य लोगों से निश्चित रूप से सलाह लेते थे और वे उनसे प्रभावित थे। उन्होंने कहा, ‘‘नेहरू युग में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के लिए मजबूत नींव रखी गई और विशाल बुनियादी ढांचे का निर्माण हुआ। ऐसा उन तीखी आलोचनाओं के बावजूद किया गया, जिनमें कहा जाता था कि एक बेहद गरीब देश होने के कारण भारत के लिए इस तरह का निवेश करना घातक होगा।