राफेल डील विवाद पर मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब दे दिया है। सरकार ने बताया कि राफेल विमान खरीदने का फैसला सालभर में 74 बैठकों के बाद किया गया। जिनमें से 26 फ्रांसीसी पक्ष के साथ। आईएनटी का गठन 36 राफेल विमानों की खरीद के लिये नियम व शर्तों पर बातचीत के लिये किया गया था। लेकिन, दैसो और एचएएल के बीच आपसी सहमति नहीं बन पाने से ये सौदा आगे नहीं बढ़ पाया।
सरकार ने कहा कि एचएएल को राफेल बनाने के लिए दैसो से 2.7 गुना ज्यादा वक्त चाहिए था। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि केंद्र ने राफेल डील में कीमतों से जुड़े दस्तावेज सीलबंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट को सौंपे। आईएनटी की अध्यक्षता वायुसेना के उप प्रमुख (डीसीएएस) कर रहे थे और इसमें संयुक्त सचिव और अधिग्रहण प्रबंधक (एयर), संयुक्त सचिव (रक्षा ऑफसेट प्रबंधन शाखा), संयुक्त सचिव और अतिरिक्त वित्तीय सलाहकार, वित्त प्रबंधक (एयर), सलाहकार (लागत) और सहायक वायुसेना प्रमुख (योजना) भारत सरकार की तरफ से सदस्य के तौर पर शामिल थे।
इसमें कहा गया कि फ्रांसीसी पक्ष का नेतृत्व महानिदेशक आयुध (डीजीए), फ्रांस सरकार का रक्षा मंत्रालय कर रहे थे। केंद्र ने सर्वोच्च अदालत को बताया, ‘‘आईएनटी और फ्रांसीसी पक्ष के बीच बातचीत मई2015 में शुरू हुई और अप्रैल 2016 तक जारी रही। बातचीत के दौरान कुल 74 बैठकों में से 48 बैठकें आईएनटी की आंतरिक थी जबकि 26 बैठकें फ्रांसीसी पक्ष के साथ हुई।