कुलगाम हमले में शहीद हुए थे दीपक नैनवाल, अब सेना में शामिल होकर पत्नी ने संभाली लेफ्टिनेंट की कमान - Punjab Kesari
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कुलगाम हमले में शहीद हुए थे दीपक नैनवाल, अब सेना में शामिल होकर पत्नी ने संभाली लेफ्टिनेंट की कमान

देश की सेवा करते हुए वीरगति को प्राप्त हुए नायक दीपक नैनवाल की पत्नी ज्योति नैनवाल भारतीय सेना

देश की सेवा करते हुए वीरगति को प्राप्त हुए नायक दीपक नैनवाल की पत्नी ज्योति नैनवाल भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बन गई हैं। दीपक नैनवाल जम्मू कश्मीर के कुलगाम हमले में शहीद हो गए थे। पति की शहादत के बाद दो बच्चों की मां ज्योति ने खुद को देश की सेवा में समर्पित कर दिया। 
शनिवार को चेन्नई स्थित ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी से वह पास आउट हुईं और सेना में शामिल हुईं। इस दौरान उनके दोनों बच्चे भी आए थे जिन्होंने सेना जैसी वर्दी पहनी थी। ज्योति के इस हौंसले पर उनका परिवार ही नहीं सम्पूर्ण देश गर्व की अनुभूति कर रहा है।
लेफ्टिनेंट ज्योति ने अपनी इस उपलब्धि के लिए अपने परिजनों के साथ ही महार रेजिमेंट को भी धन्यवाद दिया। ज्योति ने कहा मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं नौकरी कर सकूंगी। एक हाउस वाइफ थी लेकिन जब मेरे पति अस्पताल में थे तो मैंने समझा कि सेना अपने सैनिकों की देखभाल कितनी खूबसूरती से करती है।
उन्होंने कहा, मैं अपने पति की रेजीमेंट को धन्यवाद देना चाहती हूं। वह हर कदम पर मेरे साथ खड़ी रही और मुझे बेटी की तरह मानती है। बहादुर महिलाओं के लिए मैं जन्म के लिए नहीं, बल्कि कर्म के लिए मां बनना चाहती हूं और मैं जैसे जीवन व्यतीत करुंगी, वह मेरे बच्चों के लिए एक उपहार होगा।
बेटा भी बनना चाहता है फौज में अफसर, बेटी को मां पर ‘गर्व’
शहीद दीपक नैनवाला के दो बच्चे हैं। बेटी का नाम लावण्या और बेटा का नाम रेयांश है। बेटी कक्षा चार, जबकि बेटा कक्षा एक में पढ़ता है। बेटा रेयांश का भी सपना फौज में अफसर बनने का है। वहीं बेटी लावण्या ने कहा कि उन्हें अपनी मां पर बहुत गर्व है और वह भी एक दिन आर्मी ऑफिसर बनेंगी। उन्होंने कहा, “मैं महार रेजीमेंट को धन्यवाद देना चाहती हूं। उनकी वजह से मेरी मां एक आर्मी ऑफिसर बन गई हैं और मुझे उन पर बहुत गर्व हो रहा है। मैं एक बहुत ही प्राउड बेटी हूं।”
दरअसल, देहरादून के हर्रावाला निवासी नायक दीपक नैनवाल 10 अप्रैल 2018 को जम्मू-कश्मीर के कुलगाम में आतंकी मुठभेड़ में घायल हो गए थे। उन्हें तीन गोलियां लगीं थी। वह एक माह तक जिंदगी और मौत की जंग लड़ते रहे और 20 मई 2018 को शहीद हो गए। 

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