पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने केंद्र सरकार के कर्मचारियों के महंगाई भत्ते में कटौती के फैसले की आलोचना करते हुए शनिवार को कहा कि मौजूदा दौर में कटौती की नहीं बल्कि लोगों की मदद करने की जरूरत है। पूर्व प्रधानमंत्री ने शनिवार को जारी एक वीडियो सन्देश में कहा कि केंद्र को संकट के इस दौर में कर्मचारियों पर यह निर्णय थोपने की जरूरत नहीं थी।
उन्होंने कहा कि यह फैसला गलत है और सरकार को महंगाई भत्ते और महंगाई राहत में कटौती नहीं करनी चाहिए थी।वीडियो में पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी तथा पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने भी सरकार के इस फैसले की आलोचना की और कहा कि संकट के इस दौर में लोगों की मदद करने की बजाय उनके भत्तों में कटौती करना उचित नहीं है।
उन्होंने कहा कि कोरोना से लड़ने के लिए सरकार के पास यदि पैसा नहीं था तो उसे कर्मचारियों की जेबों पर कैंची चलाने की बजाय बुलेट ट्रैन जैसी परियोजनाओं को रोकने तथा अपने खर्च में कटौती करने का निर्णय लेना चाहिए था। राहुल ने इस बारे में शुक्रवार को कहा कि “लाखों करोड़ की बुलेट ट्रेन परियोजना और केंद्रीय विस्टा सौंदर्यीकरण परियोजना को निलंबित करने की बजाय कोरोना से जूझ कर जनता की सेवा कर रहे केंद्रीय कर्मचारियों, पेंशन भोगियों और देश के जवानों का महंगाई भत्ता (DA)काटना सरकार का असंवेदनशील तथा अमानवीय निर्णय है।”
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वहीं इससे पहले कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार को सैनिकों और कर्मचारियों के भत्ते काटने के बजाय सेंट्रल विस्टा, बुलेट ट्रेन परियोजनाओं और फिजूल खर्च पर रोक लगानी चाहिए।
गौरतलब है कि वित्त मंत्रालय ने गुरुवार को इस बारे में जानकारी देते हुए कहा कि कोविड- 19 महामारी के कारण सरकार के खजाने पर बढ़ते दबाव के चलते केंद्र ने एक जनवरी 2020 से लेकर एक जुलाई 2021 के बीच दिए जाने वाले महंगाई भत्ते और महंगाई राहत की किस्तों के भुगतान पर रोक लगाने का फैसला किया है।