आगामी विधानसभा चुनावों और 2024 के लोकसभा चुनावों पर नजर गड़ाए हुए, भाजपा ने उन राज्यों में विपक्षी शिविरों को निशाना बनाकर अपने ‘ऑपरेशन लोटस’ को एक नए स्तर पर ले जाने की योजना बनाई है, जहां पार्टी पहले से ही सत्ता में है।अब तक ‘ऑपरेशन लोटस’ का मुख्य उद्देश्य विपक्षी शासित राज्यों में सत्ताधारी दल या गठबंधन में दलबदल सुनिश्चित कर सरकार बनाना रहा है। एक कदम आगे बढ़ते हुए, अब भगवा पार्टी विपक्षी खेमे से दो तिहाई बहुमत के साथ दलबदल सुनिश्चित करके भाजपा शासित राज्यों में ‘ऑपरेशन लोटस’ की भी योजना बना रही है।
अगर कोई अपनी पार्टी छोड़कर हमसे जुड़ना चाहती हैं तो फिर हम क्या कर सकते हैं
पार्टी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने एक समाचार एजेंसी को बताया कि इसमें कुछ भी गलत नहीं है, क्योंकि कोई भी विरोधियों को ताकत हासिल नहीं करने देता और भाजपा भी ऐसा ही कर रही है। उन्होंने कहा, क्या कांग्रेस हमें बढ़ने देगी? नहीं, दुनिया में कहीं भी एक भी राजनीतिक दल अपने प्रतिद्वंद्वी को बढ़ने नहीं देगा। हम भी योजनाएं बनाते हैं और उसी के अनुसार चलते होते हैं और इसमें कुछ भी गलत नहीं है। और अगर कोई अपनी पार्टी को छोड़कर हमारे साथ जुड़ना चाहता है, तो फिर हम क्या कर सकते हैं।
दलबदल की खबरों ने किया भाजपा को चुनावी राज्यों में और भी मजबूत
भाजपा नेतृत्व का मानना है कि पार्टी शासित राज्यों में विपक्ष को कमजोर करने से अन्य राज्यों में विपक्ष को एक कड़ा संदेश जाएगा, खासकर चुनावी राज्यों में। एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि महाराष्ट्र में हाल ही में सरकार में बदलाव और गोवा कांग्रेस विधायक दल से संभावित दलबदल की रिपोटरें ने गुजरात और हिमाचल प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनावों में मुख्य विपक्षी दल (कांग्रेस) के चुनावी अवसरों को कमजोर कर दिया है।
कांग्रेस महाराष्ट्र में अपनी सरकार बचाने में विफल रही, इसलिए सत्तारूढ दल के सामने कोई चुनौती नही
उन्होंने कहा, विपक्षी खेमों से नियमित रूप से दलबदल चुनाव से पहले ही धारणा की लड़ाई में बढ़त देता है। गुजरात और हिमाचल प्रदेश के लोग जानते हैं कि विपक्ष सत्तारूढ़ भाजपा को चुनौती देने की स्थिति में नहीं है क्योंकि वे अपनी सरकार (महाराष्ट्र) को बचाने या बनाए रखने में विफल रहे हैं। उनके विधायक एक साथ विपक्ष (गोवा) में हैं।
2008 में किया था ऑपरेशन लॉटस वर्ड का इस्तेमाल
2008 के कर्नाटक विधानसभा चुनावों में पहली बार ‘ऑपरेशन लोटस’ वाक्यांश का इस्तेमाल किया गया था। कर्नाटक के पूर्व मंत्री और भाजपा नेता जी. जनार्दन रेड्डी ने कहा था कि पार्टी ने विपक्षी खेमे से बड़े पैमाने पर दलबदल कर औरनिर्दलीय उम्मीदवारों से समर्थन हासिल करके आधे रास्ते को पार करने की रणनीति तैयार की है।
कुछ विधायक के नही बल्कि दो तिहाई बहुमत के दलबदल कराने के पक्ष में सत्तारूढ
सूत्रों ने बताया कि भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने राज्य प्रभारियों से गोवा, कर्नाटक, हरियाणा, गुजरात और अन्य राज्यों में विपक्षी खेमे से दलबदल की संभावना का पता लगाने को कहा है।सूत्रों ने कहा, इस बात पर चर्चा हुई है कि कुछ विधायकों को शामिल होने की अनुमति देने के बजाय, दो तिहाई विधायकों के समर्थन से दलबदल किया जाना चाहिए जैसे कि महाराष्ट्र में किया गया था। दो तिहाई विधायकों के समर्थन के अभाव में, विद्रोहियों को विधानमंडल की सदस्यता से इस्तीफा देना होगा और फिर से चुनाव के लिए जाना होगा। एक अन्य वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि पूरा उद्देश्य विपक्ष को कमजोर करना और पार्टी को और मजबूत करना है।