देश के विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने सोमवार को स्वीकार किया कि भारत एक कल्याणकारी राज्य है, जबकि भाजपा ने कहा कि मुफ्तखोरी और कल्याणकारी योजनाओं के बीच अंतर होना चाहिए।भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), कांग्रेस, आम आदमी पार्टी (आप), समाजवादी पार्टी (सपा) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेताओं व प्रवक्ताओं ने सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज (सीएसडीएस) द्वारा आयोजित ‘इंडियाज इलेक्टोरल डेमोक्रेसी @ 75’ में इस बात पर सहमति व्यक्त की कि कोई भी दल इस तथ्य को मानने से इनकार नहीं कर सकता कि भारत एक कल्याणकारी राज्य है।
सीएसडीएस में एक शोध कार्यक्रम, लोकनीति के प्रोफेसर और सह-निदेशक संजय कुमार की ‘इलेक्शंस इन इंडिया’ नामक पुस्तक का विमोचन और एक परिचर्चा आयोजन किया गया।परिचर्चा के दौरान सीएसडीएस के एसोसिएट प्रोफेसर हिलाल अहमद ने पैनलिस्ट से मुफ्तखोरी के बारे में सवाल किया।कांग्रेस की ओर से सुप्रिया श्रीनेत ने मुफ्त में मिलने वाली चीजों का पुरजोर समर्थन किया और कहा, ”भारत एक कल्याणकारी राज्य है और देश की आबादी का एक बड़ा हिस्सा लुटियंस दिल्ली से बाहर रहता है तथा उनके लिए इस तरह की मुफ्त चीजें आवश्यक हैं।”उन्होंने यह सवाल भी किया कि अर्थव्यवस्था पर होने वाली हर बहस गरीबों को उनके उत्थान के लिए दी जाने वाली सब्सिडी व छूट पर ही क्यों केंद्रित हो जाती है।
समाजवादी पार्टी की ज्योति सिंह ने भी इसी तरह के विचार व्यक्त करते हुए कहा कि कोई भी यह नहीं कह सकता कि भारत एक कल्याणकारी राज्य नहीं है और ”एक समाजवादी राष्ट्र के रूप में देश के गरीबों के प्रति हमारी कुछ प्रतिबद्धताएं हैं।”भाजपा की प्रवक्ता शाजिया इल्मी ने कहा कि ”मुफ्त में मिलने वाली सुविधाएं कल्याणकारी योजनाओं से अलग हैं।”उन्होंने कहा कि मुफ्त की चीजें मूल रूप से राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले ”चुनावी हथकंडे” हैं,जबकि कल्याणकारी उपायों का उद्देश्य गरीबों का उत्थान करना होता है।