पीएम मोदी ने एक बार फिर कानून की सुगमता को लेकर क्षेत्रीय भाषा पर जोर देने की वकालत की हैं, विधि सचिव व मंत्रियों के सम्मेलन में पीएम मोदी ने कहा कि कानून की भाषा क्षेत्रीय होनी चाहिए ताकि गरीब भी उसको समझ व पढ़ सके। दरअसल देश में कानून की भाषा अग्रेंजी पर आधारित हैं। देश की कई क्षेत्रीय भाषाओं में कानून का कोई प्रकाशन ही नहीं होता , इसलिए कानून के विद्धीवेत्ता कानून की भाषा को सरल व आसान बनाने पर जोर देने का प्रयास करते आये हैं।
इस सम्मेलन में भी पीएम मोदी ने राज्य द्वारा चलाए जाने वाली लोक अदालतों की तारीफ की हैं , पीएम ने कहा कि लोक अदालतों को जल्दी न्याय दिलाने के लिए स्थापित किया गया हैं। पीएम मोदी अपने संबोधन में आगे कहा कि उनकी सरकार ने अंग्रेजों के काल से चले आ रहे डेढ़ हजार कानूनों को खत्म किया हैंं। देश के नागरिकों को ऐसा भाव नहीं लगना चाहिए कि सरकार का दवाब उनपर हैं। कानून बनाने समय विशेषज्ञों को सलाह के रूप में पीएम मोदी ने कहा कि कानून बनाते समय आसान भाषा हो, हमारे कानून सरल, सहज भाषा में लिखे जाएं, उन्होनें सुप्रीमकोर्ट की महत्वपूर्ण केसेस डिजिटल लाइब्रेरी स्थानीय भाषा में हो इसके लिए काम करना चाहिए।
आपको बता दे की कानून के परिपेक्ष मे मोदी सरकार क्षेत्रीय भाषा में काफी जोर दे रही हैं । कानून को सुगम बनाने के लिए केंद्र सरकार कई योजनाओं पर विचार कर रही हैं, ताकि क्षेत्रीय भाषा के तौर पर भी कानून की समझ को चाहने वाले लोगों के लिए आसानी हो सके । अधिकांश कानून की पढ़ाई में छात्रों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता था ।