Pegasus जासूसी मामले में केंद्र पर बरसे कपिल सिब्बल, बोले- सरकार बताए पेगासस का इस्तेमाल हुआ या नहीं - Punjab Kesari
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Pegasus जासूसी मामले में केंद्र पर बरसे कपिल सिब्बल, बोले- सरकार बताए पेगासस का इस्तेमाल हुआ या नहीं

कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने कहा कि मुख्यमंत्रियों, राजनेताओं, न्यायाधीशों और लोगों के फोन पर जासूसी करना देश

पेगासस जासूसी मामले में देश की राजनीति में भूचाल लाकर रख दिया है। पेगासस कांड ने इतना तूल पकड़ लिया है कि केंद्र सरकार से जवाब देते नहीं बन पा रहा है, ऐसे में विपक्ष लगातार मोदी सरकार पर हमलावर बना हुआ है। इसी बीच कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने कहा कि मुख्यमंत्रियों, राजनेताओं, न्यायाधीशों और लोगों के फोन पर जासूसी करना देश के कई कानूनों का उल्लंघन है और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है। 
पेगासस के जरिए जासूसी कर साल 2019 में कर्नाटक की जनता दल सेकुलर-कांग्रेस की गठबंधन सरकार को गिराने से जुड़ी खबर आने के बाद कपिल सिब्बल ने पत्रकारों से बात की। उन्होंने कहा, ‘पेगासस को लेकर बवाल कट रहा है. सरकार को बताना है कि पेगासस का इस्तेमाल हुआ या नहीं हुआ। देश की जनता को वे बताना नहीं चाहते, ये एक सॉफ्टवेयर है, NSO इसको बनाता है।
सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करने के लिए वो पैसे लेते हैं और सरकारों को वे देते हैं।उन्होंने बताया भी है कि इसराइल डिफेंस मिनिस्टरी की अप्रूवल के बाद उन्होंने सॉफ्टवेयर दिया, सरकार ने नहीं तो किसने पैसे दिए।’ उन्होंने कहा कि यह गंभीर बात है कि इस्तेमाल करने के किये लिंक दिया जाता है, उसके माध्यम से वे मोबाइल इंटरसेप्ट कर लेते हैं। बीवी से बातें, किस्से सभी को वो सुन लेते हैं। देश के गृह मंत्री को बताना चाहिए कि कभी इस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल नहीं हुआ। 
अगर सरकार ने इस्तेमाल नहीं किया तो किसने किया. सच्चाई सामने आनी चाहिए। साथ-साथ ऐसा भी लग रहा है कि गृह मंत्री क्रोनोलॉजी समझने की बात कर रहे हैं। पेगासस आतंकवादियों के खिलाफ इस्तेमाल होते हैं, पत्रकार क्या टेररिस्ट हैं, SC की महिला क्या है वो आतंकी है। 
सिब्बल ने सवाल उठाते हुए कहा कि लिस्ट में संपादकों का नाम क्यों है, महिलाओं का नाम क्यों है, लिस्ट सरकार ने ही बनाई है। कर्नाटक सरकार की कवायद में इसका इस्तेमाल हुआ। हमारे देश की सरकार ने नेशनल सिक्योरिटी को खतरे में डाला, ये एक नेशनल सिक्योरिटी थ्रेट है। ये राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा है, ये गंभीर मामला है। मंत्री के फ़ोन से इंटरसेप्ट हुआ है तो ये ऑफिसियल सीक्रेट एक्ट का उलंघन है, महिला पर स्टाकिंग निजता का उल्लंघन है। सवाल है कि क्या किया जाए। 
मंत्री ने कहा कि संसद के सत्र से पहले ही ये आर्टिकल क्यों सामने आया, लेकिन इसमें तो 40 देशों पर खुलासा है और इसका संसद सत्र से लेना देना नही है, व्हाट्सएप और फेसबुक ने NSO के खिलाफ केस किया हुआ है. कैलिफोर्निया में ये केस चल रहा है। 
2017-2019 के बीच ये हुआ. मंत्री कहते हैं कि देश को बदनाम किया जा रहा है, लेकिन सरकार के कारनामों की मदद से सरकार बदनाम हो रही है। आपके कारनामे सामने आ रहे है, देश और सरकार में फर्क है, आप सरकार हैं देश नहीं. उन्होंने कहा कि मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट को करनी चाहिए और ऑन कैमरा प्रोसेडिंग होनी चाहिए। 
मामले में सरकार को वाइट पेपर लाना चाहिए और बताना चाहिए कि पेगासस इस्तेमाल हो रहा था कि नहीं, जवाब नहीं आएगा तो हमें संतुष्टि नहीं होगी। ये नेशनल सिक्योरिटी एजेंसी की बिना जानकारी के नहीं हुआ होगा, पता लगे कि सुरक्षा के साथ कौन खिलवाड़ कर रहा है। रविशंकर जी ने हाल ही में कहा कि बाकी देश इस्तेमाल कर रहे हैं, सरकार के मुताबिक ये अवैध तरीके नहीं हैं। सरकार जब तक पेगासस का जवाब नहीं देंती राजनीतिक दलों को संतुष्ट नहीं रहना चाहिए। ये बात मैं एक साधारण नागरिक की तरह पूछ रहा हूं, देश में कौन सेफ है।

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