एक तरफ जहां विक्रम लैंडर अब चांद से सिर्फ 25 किलोमीटर दूर है। वही दूसरी तरफ रूस का लूना-25 चंद्र मिशन में तकनीकी खराबी के कारण रास्ता भटक गया है। रूसी अंतरिक्ष एजेंसी उनसे संपर्क साधने की कोशिश कर रही है। आपको बता दे कि अगर रूस के लूना-25 चंद्र मिशन में गलती हुई तो वह चंद्रयान-3 से पहले चंद्रमा की सतह पर नहीं उतर पाएगा। यह भारत के लिए गर्व की बात होगी।
इसरो आदित्य-एल1 सूर्य मिशन के लिए कर रहा है तैयारी
वही, एक और खुशखबरी ओर आ रही है जिस पर भारतीय को गर्व होगा जी हाँ , कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की नजर चंद्रमा के बाद अब सौरमंडल के सबसे गर्म और सबसे बड़ सदस्य सूर्य की सबसे चुनौतीपूर्ण सतह की पर उतरने पर है।
आपको बता दे कि अंतरिक्ष एजेंसी सूर्य का अध्ययन करने के लिए आदित्य-एल1 सौर अन्वेषण मिशन के प्रक्षेपण की तैयारी कर रही है।
आदित्य-एल1 मिशन को इसरो पीएसएलवी रॉकेट द्वारा सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, एसएचएआर (एसडीएससी एसएचएआर), श्रीहरिकोटा से प्रक्षेपित किया जायेगा।
इसके बाद कक्षा को और अधिक अण्डाकार बनाया जाएगा और बाद में अंतरिक्ष यान को ऑन-बोर्ड प्रणोदन का उपयोग करके लैग्रेंज बिंदु एल-1की ओर प्रक्षेपित किया जाएगा।
एल1 बिंदु के चारों ओर प्रभामंडल कक्षा में रखे गए उपग्रह को बिना किसी ग्रहण/ग्रहण के सूर्य को लगातार देखने का प्रमुख लाभ होता है। इससे वास्तविक समय में सौर गतिविधियों और अंतरिक्ष मौसम पर इसके प्रभाव को देखने का अधिक लाभ मिलेगा।
जैसे ही अंतरिक्ष यान एल 1 की ओर यात्रा करेगा, यह पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र (एसओआई) से बाहर निकल जाएगा। एसओआई से बाहर निकलने के बाद, क्रूज़ चरण शुरू हो जाएगा और बाद में अंतरिक्ष यान को एल1 के चारों ओर एक बड़ प्रभामंडल कक्षा में स्थापित किया जाएगा। लॉन्च किये जाने के बाद से एल1 तक की कुल यात्रा में आदित्य-एल1 को लगभग चार महीने लगेंगे।