चंद्रयान 3 को लेकर भारत बनाएगा नया इतिहास, जानिए कैसे काम करता है रॉकेट पूरी जानकारी - Punjab Kesari
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चंद्रयान 3 को लेकर भारत बनाएगा नया इतिहास, जानिए कैसे काम करता है रॉकेट पूरी जानकारी

मिशन चंद्रयान-3 का काउंटडाउन कुछ ही घंटों में शुरू होने वाला है। इसे लेकर ISRO की तरफ से

मिशन चंद्रयान-3 का काउंटडाउन कुछ ही घंटों में शुरू होने वाला है। इसे लेकर ISRO की तरफ से पूरी तैयारी कर ली गई है और अब लॉन्चिंग की बारी है। आपको याद होगा कि पिछली बार भारत चंद्रयान का सफल परीक्षण करने में चुक गया था। लेकिन इस बार कोशिश है कि रोवर की सफलतापूर्वक चांद पर लैंडिंग कराई जाए।
भारत बनेगा आत्मनिर्भर
अगर भारत ऐसा करने में कामयाब हो जाता है को तो वो अमेरिका और चीन जैसे देशों की लिस्ट में शामिल हो जाएगा। इस बड़ी लॉन्चिंग से पहले आइए जानते हैं कि आखिर मिशन चंद्रयान-3 क्या है और इस रॉकेट की क्या खासियत है।
 चंद्रयान-3 का सफर कुल 40 दिन का होगा1689318970 cw
 चंद्रयान-3 का सफर कुल 40 दिन का होगा। जिसके बाद ये अपनी कक्षा में पहुंचेगा और चांद पर चक्कर लगाने के बाद रोवर लैंड होगा। तो चलिए आपको इस मिशन के बारे में बताते है।
रॉकेट का सफर कुल 36 हजार किमी का होगा
आपको बता दें  धरती से चांद की कुल दूरी 3.84 लाख km की है। रॉकेट का सफर कुल 36 हजार किमी का होगा। रॉकेट रोवर को पृथ्वी के बाहरी ऑर्बिट तक ले जाएगा। इसमें करीब 16 मिनट लगेंगे। वहीं बाहरी ऑर्बिट के  बाद का सफर प्रोपल्शन मॉड्यूल से चांद के ऑर्बिट में पहुंचकर कई स्टेज में ऑर्बिट घटाएगा।  100 km के ऑर्बिट में पहुंचने पर प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग अंत में लैंडर चांद पर उतरेगा।
  लैंडर को उतारनें में  होती है परेशानी
बता दें  लैंडर को उतारनें में परेशानी आती है। क्योंकी चांद पर वायुमंडल का न होना काफी खतरनाक साबित होता है। ऐसे में लैंडर के टूटने की ज्यादा संभावनाएं होती हैं। इसके अलावा लोकेशन बताने वाला GPS न होना भी एक बड़ी परेशानी है, जिससे लैंडर को सही जगह तक पहुंचाना एक बड़ा चैलेंज होता है। इसके अलावा
चांद के साउथ पोल पर साफ नहीं दिखना भी साइंटिस्ट्स के लिए एक बड़ी चुनौती होता है। मिशन के मकसद की बात करें तो बसे पहला मकसद लैंडर की सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग होगा।
परीक्षण करने के फायदे 1689318928 c3

 इन सब बातों के बाद कई लोगों के मन में सवाल होगा कि  मिशन मून से भारत को क्या मिलेगा तो चलिए इसके बारे में भी आपको बता देते है। दरअसल इस परीक्षण   से चंद्रमा, पृथ्वी और ब्रह्मांड की बेहतर समझ मिल सकती है।  भारत बिना विदेशी मदद के अपनी क्षमता दिखा सकता है।  इसके अलावा अरबों डॉलर के स्पेस मार्केट में मजबूत मौजूदगी और दुनिया के गिने-चुने देशों के क्लब में एंट्री मिल सकती है।  
चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग के बाद तीन स्टेप होंगे1689318941 c5
 चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग के बारे में बात करे तो चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग के बाद तीन स्टेप होंगे। पहला प्रपल्शन मॉड्यूल होगा, जिसमें लैंडर रोवर को चंद्रमा की ऑर्बिट में 100 km ऊपर छोड़ेगा। इसके बाद दूसरा लैंडर मॉड्यूल वाला पार्ट होगा, जिसमें रोवर को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतारेगा। इसके बाद आखिरी स्टेप रोवर होगा, इसमें रोवर चांद पर उतरकर उसकी साइंटिफिक स्टडी करेगा।
चांद की सतह की तस्वीरे भेजेगा पाकिस्तान
चांद की सतह से रोवर का मिशन होगा कि वो सतह की तस्वीरें भेजेगा, इसके अलावा मिट्टी की जांच, वातावरण की रिपोर्ट देना, केमिकल विश्लेषण करना और वहां मौजूद खनिज की खोज करना होगा इसका काम होगा। इसके सफल होने के बाद भारत नया इतिहास बनाएगा।  

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