नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि यदि सामाजिक कार्यकर्ताओं नरेन्द्र दाभोलकर, गोविन्द पानसरे, पत्रकार गौरी लंकेश और तर्कवादी एम एम कलबुर्गी की हत्या के मामले में ‘समानता’ है तो एक एजेन्सी सभी चारों मामलों की जांच कर सकती है। न्यायमूर्ति उदय यू ललित और न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा की पीठ ने केन्द्रीय जांच ब्यूरो को जनवरी के पहले सप्ताह में यह सूचित करने का निर्देश दिया कि यदि इन सभी में एक समानता नजर आती है तो उसे सभी मामलों की जांच क्यों नहीं करनी चाहिए।
महाराष्ट्र सरकार के वकील ने पीठ को सूचित किया कि सीबीआई सामाजिक कार्यकर्ता और प्रोफेसर नरेन्द्र दाभोलकर की हत्या के मामले की जंच कर रही है। इस मामले की जांच बंबई उच्च न्यायालय ने जांच एजेन्सी को हस्तांतरित की थी। इस बीच, न्यायालय ने कर्नाटक पुलिस की प्रगति रिपोर्ट के अवलोकन के बाद कहा कि ऐसा लगता है कि पत्रकार गौरी लंकेश और तर्कवादी कलबुर्गी की हत्याओं के बीच संबंध है।
पीठ ने महाराष्ट्र सरकार से पानसरे हत्याकांड की जांच की प्रगति के बारे में पूछा तो उसके वकील ने कहा कि यह मामला कोल्हापुर की अदालत में लंबित है। इससे पहले दिन में कर्नाटक पुलिस ने न्यायालय को सूचित किया था कि पत्रकार गौरी लंकेश और तर्कवादी एमएम कलबुर्गी की हत्या के मामलों के बीच कुछ संबंध प्रतीत होता है।
राज्य की पुलिस ने शीर्ष अदालत को यह भी बताया कि कलबुर्गी की हत्या मामले में वह तीन महीने के भीतर आरोप पत्र पेश करेगी। इससे पहले 26 नवंबर को शीर्ष अदालत ने कर्नाटक सरकार की खिंचाई की थी और कहा था कि वह जांच में कुछ नहीं, बस, दिखावा कर रही है। साथ ही न्यायालय ने संकेत दिया था कि वह मामले को बंबई उच्च न्यायालय स्थानांतरित कर सकती है। प्रख्तात शिक्षाविद और तर्कवादी कलबुर्गी की 30 अगस्त, 2015 को धारवाड़ में हत्या कर दी गयी थी जबकि सामाजिक कार्यकर्ता पानसरे की भी उसी साल 16 फरवरी को हत्या की गयी थी। पत्रकार गौरी लंकेश की पांच सितंबर, 2017 को बेंगलुरू में हत्या की गयी जबकि एक अन्य सामाजिक कार्यकर्ता और तर्कवादी दाभोलकर की 20 अगस्त, 2013 को हत्या की गयी थी।