संसद वो इमारत है जहां देश का लोकतंत्र खड़ा होता है, संसद एक ऐसा सदन है जहां सैंकड़ों कानून पारित होते हैं। सरकार को गिराना और उठाना ये देश की जनता के हाथ में होता है, लेकिन ये कथन पूरी तरह से सही नहीं है जी हाँ देश की जनता सरकार तो बना सकती लेकिन अचानक उसे गिरा नहीं सकती। लेकिन ऐसा ही कुछ संसद में ज़रूर हो सकता जहां विपक्षी दल अविश्वास प्रस्ताव लेकर सरकार को गिराने के लिए हर प्रयत्न करती है। कई बार ऐसा हुआ है की अविश्वास प्रस्ताव से सरकार नहीं गिरी ह्पो, लेकिन 2 ऐसे वक़्त थे जब सदन में अविश्वास प्रस्ताव लाने के कारण अटल बिहारी वाजपेयी और मोरारजी की सरकार ढह चुकी है।
विपक्ष का सरकार गिराने का विकल्प -अविश्वास प्रस्ताव
विपक्ष का सदन में अविश्वास मकसद होता है, या तो मौजूदा सरकार को सत्ता पद से हटाना हो या फिर किसी मुद्दे को लेकर केंद्र सरकार को घेरना हो। देश में आजकल यही सिलसिला चल रहा है, जहां मणिपुर मुद्दे के साथ-साथ विपक्ष केंद्र सरकार को घेरने की भी पूरी तैयारी की गयी है। मणिपुर में बीजेपी सरकार है , और केंद्र में भी बीजेपी सरकार ही है। जिस कारण विपक्षी दल “इंडिया” एन बिरेन सिंह को भी अपने शिकंजे में ले रही है। संसद में 20 जुलाई से मॉनसून सत्र की शुरुआत हुई थी, जब से लेकर अब तक किसी भी दिन कार्य सही से नहीं हुआ, हर दिन कार्य में विपक्ष के नारे बाधा का काम कर रहे थे। और जिस कारण कार्यवाही को स्थगित किया जा रहा था। बता दें की साल 2023 में बीजेपी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की बात को लेकर पीएम मोदी ने 2019 में ही भविष्यवाणी कर दी थी। की विपक्ष साल 2023 में फिरसे अविश्वास प्रस्ताव लेकर आएगा।
अविश्वास प्रस्ताव को लेकर उठ रहे हैं सवाल
अविश्वास प्रस्ताव जबसे आया है तब से जनता के बीच कई सवाल उठ रहे हैं की क्या अविश्वास प्रस्ताव के ज़रिय विपक्ष मौजूद सर्कार को गिराने की ताक़त रखती है? और ये अविश्वास प्रस्ताव कितनी बार आ चुका है ? इसकी वजह से कितनी सरकारें गिर चुकी है? अगर आपके मन में भी ऐसे उठ रहे हैं तो घबराएं नहीं आज हम उन सभी सवालों पर से पर्दा उठाएंगे जिसको लेकर आम जनता के बीच हलचल सी मच चुकिओ है।
कितने बार आयी अविश्वास प्रस्ताव ?
पहली बार ये अविश्वास प्रस्ताव साल 1963 में जवाहरलाल नेहरू की सरकार के खिलाफ उन्हीं के नेता आचार्य जेबी कृपलानी लेकर आये थे। जिसमें वो सरकार के पक्ष में 347 वोट पड़ने की वजह से हार गए। इन छह दशकों में अब तक कुल 27 अविश्वास प्रस्ताव आ चुके हैं। जिसमें सबसे ज़्यादा बार इंदिरा गांधी के मौजूद सरकार में आयी थी जिसकी संख्या 15 है। 1964 से 1975 के बीच ही ये प्रस्ताव आये थे, जो अब तक की गिनती में सबसे ज़्यादा है। इंदिरा गाँधी सरकार में भले ही सबसे अधिक अविश्वास प्रस्ताव आये हो लेकिन एक बार भी ये सरकार गिरी नहीं।
लाल बहादुर शास्त्री से लेकर नरसिंह राव में दोनों के ऊपर 3-3 बार अविश्वास प्रस्ताव आ चुके हैं। वहीँ अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के खिलाफ 2 बार। इंदिरा गाँधी के खिलाफ 15 बार। 1 बार पंडित जवाहर लाल नेहरू के खिलाफ। वहीँ राजीव गांधी, वी.पी सिंह, चौधरी चरण सिंह, मनमोहन सिंह और नरेंद्र मोदी की सरकार भी 1-1 बार अविश्वास प्रस्ताव का सामना कर चुके हैं।