हाल ही में केंद्र सरकार के द्वारा फाइलेरिया नामक बीमारी के खिलाफ जंग लड़ने की बात कही गई थी | जी हां, फाइलेरिया यानी हाथी पांव | बता दे कि फाइलेरिया एक मच्छर जनित रोग है, जिसे हाथीपांव भी कहा जाता है | इससे बचने के लिए 3 दवाओं का सेवन कम से कम 2 से 3 साल तक करना होता है | जिससे संक्रमण ज्यादा ना फैले | लेकिन अगर दवा को बीच में ही छोड़ दिया जाए तो उसका असर दिखाई नहीं देता | आपको बता दें कि सरकार ने एक बार फिर फाइलेरिया के खिलाफ फुल लड़ने के लिए घर-घर दस्तक देने की तैयारी कर ली है | इसके लिए केंद्र सरकार के द्वारा 8 राज्यों को 10 अगस्त से फाइलेरिया रोधी दवाओं का सेवन कराने के निर्देश दिए गए हैं | साथ ही स्वास्थ्यकर्मियों को निर्देश दिए गए हैं कि तब तक उक्त परिवार का घर न छोड़ें, जब तक कि वह दवा का सेवन नहीं कर लेता है।
सरकार का क्या है मिशन?
दरअसल केंद्र सरकार चाहती है कि इस बीमारी को वैश्विक लक्ष्य के 3 साल पहले ही खत्म कर दिया जाए यानि इस बीमारी को 2027 तक खत्म कर दिया जाए | इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक और ओडिशा के ज्यादा मामले वाले जिलों में यह अभियान चलाया जाएगा | बता दे कि फाइलेरिया के खिलाफ इसी साल फरवरी में भी 10 राज्यों के 90 जिलों के 1113 ब्लॉक में अभियान चलाया गया | इसे लेकर अधिकारियों को पता चला कि कई लोगों ने स्वास्थ्य कर्मचारियों से दवाएं ले लीं, लेकिन इसका सेवन नहीं किया। जांच में करीब 30 फीसदी लोग ऐसे मिले, जिन्होंने दवा का सेवन नहीं किया।
खैर, बात जो भी हो लेकिन स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार देश के लगभग 43 करोड़ लोगों को निवारक दवाओं की इस समय आवश्यकता है | इन्हीं के लिए सरकार 3 दवाओं के संयोजन के साथ पांच स्तरीय रणनीति पर जोर दे रही है |