इन टेक्नीक का प्रयोग कर किया जाएगा ज्ञानवापी सर्वे, सामने आ जाएगा सच - Punjab Kesari
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इन टेक्नीक का प्रयोग कर किया जाएगा ज्ञानवापी सर्वे, सामने आ जाएगा सच

ज्ञानवापी परिसर का मामला एक बार फिर से गरमा गया है। जहां हिन्दू पक्ष अपनी बात और मुस्लिम

ज्ञानवापी परिसर का मामला एक बार फिर से गरमा गया है। जहां हिन्दू पक्ष अपनी बात और मुस्लिम पक्ष अपनी बात रख रहेें है। और ऐसे में देश की तमाम लोगों की निगाहें  ज्ञानवापी परिसर मामले  पर टिकी हुई। फिलहाल आज उत्तर प्रदेश के वाराणसी में ज्ञानवापी परिसर के एएसआई सर्वे को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हरी झंडी दे दी। जिसे 21 जुलाई को सर्वे की अनुमति के जिला अदालत के फैसले को मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी और सर्वे पर दो दिन की अंतरिम रोक लगा दी गई थी। जहां कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष को इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपील करने को कहा था।   
हिंदू पक्ष के वकील विष्णु जैन का बयान 
इस फैसले के बाद उम्मीद है कि जल्द ही सर्वे शुरू कर दिया जाएगा। बता दें कि  हिंदू पक्ष के वकील विष्णु जैन ने बताया कि कोर्ट ने इस बात को स्वीकार किया कि सर्वे को किसी भी स्टेज पर शुरू किया जा सकता है। इससे पहले जिला अदालत ने आर्कियोलॉजिकल ऑफ इंडिया को साइंटिफिक सर्वे के जरिए यह पता लगाने के निर्देश दिए थे कि क्या परिसर में मौजूद ढांचे को हिंदू मंदिर को तोड़कर बनाया गया है। तो आइए समझते हैं कि सर्वे में क्या किया जा सकता है-
तीनों गुंबदों का सर्वेक्षण 
एएसआई ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार या जियो रेडियोलॉजी सिस्टम या दोनों से सर्वेक्षण जिला अदालत के जज अजय कृष्णा विश्वेश ने अपने आदेश में GPR का इस्तेमाल कर इमारत के नीचे स्थित तीनों गुंबदों का सर्वेक्षण करने को कहा था और अगर जरूरत हो तो खुदाई भी कर सकते हैं। बता दें कि विवादित वजूखाने को सर्वे में शामिल नहीं किया गया है
आखिर क्या होती है जीपीआर टेक्नीक 
आईआईटी के प्रोफेसर जावेद मलिक, जो आर्कियोलॉजिकल खोज अभियानों का हिस्सा भी रह चुके हैं ने बताया कि जीपीआर के मदद से किसी वस्तु या ढांचे को छुए बगैर ही उसके नीचे मौजूद कंक्रीट, केबल, धातु, पाइप या अन्य वस्तुओं की पहचान की जा सकती है। उन्होंने बताया कि इस टेक्नीक में इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन के जरिए जो सिग्नल मिलते हैं, वे मिट्टी के नीचे मौजूद ढांचे या वस्तु के आकार और प्रकार की जानकारी देते हैं। इसके अलावा प्रोफेसर जावेद ने बताया कि इस प्रक्रिया में 8 दिन का समय लगता है और ज्ञानवापी में जब जीपीआर के जरिए सर्वे किया जाएगा तो टीम उपकरण की मदद से 8 से 10 मीटर तक वस्तु का पता लगा सकेगी और इनकी 2D एवं 3D प्रोफाइल्स की जाएंगी. पुरानी इमारतों और खंडहरों के सर्वे में GPR और मॉडर्न टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाता है।  

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