सरकार का बड़ा ऐलान: मदरसों में आठवीं तक के छात्रों को नहीं मिलेगी छात्रवृत्ति - Punjab Kesari
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सरकार का बड़ा ऐलान: मदरसों में आठवीं तक के छात्रों को नहीं मिलेगी छात्रवृत्ति

मदरसों में आठवीं तक के छात्रों को मिलने वाली छात्रवृत्ति पर रोक लगा दी गई है। यह नियम

हमारे देश की सरकार बच्चों की बेहतर शिक्षा के लिए कई तरह की छात्रवृति योजना चलाती है जिससे भारत के करोड़ो बच्चों को इसका लाभ मिलता है। वहीं अगर बात भारत के सरकारी स्कुलों, खास कर पहली से आठवीं तक की शिक्षा की करें तो, यहां पर बच्चों को कई तरह की सुविधाएं उपलब्ध हैं। जिसमें मुफ्त शिक्षा, ड्रेस, दोपहर का खाना समेत छात्रवृति शामिल है। लेकिन अब इस छात्रवृति पर रोक लगने वाली है।
आठवीं तक के छात्रों को मिलने वाली छात्रवृत्ति पर रोक लगा
दरअसल मदरसों में आठवीं तक के छात्रों को मिलने वाली छात्रवृत्ति पर रोक लगा दी गई है। यह नियम 2022-23 सत्र में ही लागू होगा। केंद्र सरकार की ओर से इस बारे में निर्देश जारी कर दिये गए हैं। पिछले वर्ष मदरसों में पढ़ने वाले आठवीं कक्षा तक के लगभग छह लाख छात्रों को छात्रवृत्ति मिली थी। कक्षा एक से पांच तक के विद्यार्थियों को एक वर्ष में एक हजार रुपये दिए जाते हैं। जबकि छठवीं से आठवीं तक के लिए छात्रवृत्ति की राशि अलग-अलग है।  
शुल्क भरपाई की अंतिम तिथि अब 10 तक 
यूपी शासन ने छात्रवृत्ति एवं शुल्क भरपाई के लिए अंतिम तिथि 10 दिसंबर तक बढ़ा दी है। पूर्व में अंतिम तिथि 7 नवंबर थी। दरअसल, इस बार विभिन्न पाठ्यक्रमों के प्रवेश देरी से शुरू होने से विश्वविद्यालयों से संबद्ध कॉलेजों के बड़ी संख्या में छात्र ऑनलाइन आवेदन नहीं कर पाए थे। 
छात्रों ने भी तिथि बढ़ाने के लिए सोशल मीडिया पर अभियान चलाया था। 
इसे देखते हुए शासन ने अंतिम तिथि बढ़ाने का निर्णय लिया। प्रमुख सचिव, समाज कल्याण डॉ। हरिओम ने बताया कि दशमोत्तर कक्षाओं (कक्षा-10 से ऊपर) के लिए अंतिम तिथि को 10 दिसंबर तक बढ़ाने का निर्णय हो चुका है। पूर्व दशम
(कक्षा 9) में विद्यार्थियों के डाटा को 30 नवंबर तक लॉक करने की सुविधा दी गई है।
गौरतलब है कि मदरसों में कक्षा एक से आठ तक के छात्रों को बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों की तरह दोपहर का भोजन, यूनिफार्म, किताबें मुफ्त दी जाती हैं। पहले परिषदीय विद्यालयों के आठवीं कक्षा तक के छात्रों को भी छात्रवृत्ति मिलती थी लेकिन शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत आठवीं तक की शिक्षा नि:शुल्क किये जाने के बाद इसे कुछ वर्ष पूर्व बंद कर दिया गया था।

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