Gautam Adani: Hindenburg ने लगया गौतम अडानी पर ग्रहण, टॉप 20 की लिस्ट से हुए बाहर - Punjab Kesari
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Gautam Adani: Hindenburg ने लगया गौतम अडानी पर ग्रहण, टॉप 20 की लिस्ट से हुए बाहर

दुनिया के जाने-माने उद्योगपति गौतम अडानी लगातार विवादों में हैं। गौतम अडानी के सुर्खियों में रहने की वजह

दुनिया के जाने-माने उद्योगपति गौतम अडानी  लगातार विवादों में हैं। गौतम अडानी के सुर्खियों में रहने की वजह हिंडनबर्ग की रिपोर्ट है। जिसमे गौतम अडानी पर कई आरोप लगाए गए हैं।इसके साथ ही अडानी ग्रुप के शेयरों में भी भारी गिरावट देखने को मिली है।अडानी दुनिया के टॉप 20 की लिस्ट से भी बाहर हो गए है। वो केवल देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में सुर्खियों का विषय बने हुए है।   दरअसल, हिंडनबर्ग ने अडानी ग्रुप पर अकाउंटिंग फ्रॉड समेत कई आरोप लगाए हैं। हालांकि, अडानी ग्रुप ने इन आरापों को खारिज कर दिया है, लेकिन इसके बावजूद ग्रुप के  शेयरों की हालत बिगड़ती ही जा रही है।    
अडानी ग्रुप ने FPO को लिया वापस 
आपको बता दें कि अडानी ग्रुप हाल ही में अडानी एंटरप्राइजेज का 20,000 करोड़ रुपये का FPO लेकर आया था। हालांकि इस एफपीओ के दौरान ही हिंडनबर्ग रिपोर्ट सामने आ गई, जिसके बाद अडानी ग्रुप की कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज में भी भारी गिरावट देखने को मिली है।अडानी एंटरप्राइजेज का एफपीओ पूरी तरह से सब्सक्राइब हो चुका था, लेकिन इसके बाद भी अडानी ग्रुप ने अडानी एंटरप्राइजेज का एफपीओ वापस ले लिया था। बता दें कि गौतम अडानी 24 जनवरी तक दुनिया के तीसरे सबसे अमीर व्यक्ति थे, लेकिन पिछले एक हफ्ते में उनकी कंपनियों के मार्केट कैपिटलाइजेशन में भारी गिरावट आई है। गौतम अडानी की संपत्ति पिछले सप्ताह 35 बिलियन डॉलर कम हुई है।  
अडानी दूसरे सबसे अमीर व्यक्ति के पायदान तक पहुंचे थे
जानकारी के मुताबिक, अडानी ने पिछले साल फरवरी में भारतीय अरबपति मुकेश अंबानी को पीछे छोड़ दिया था और एशिया के सबसे अमीर और दुनिया में 10वें सबसे अमीर व्यक्ति बन थे। सितंबर में 155 अरब डॉलर की संपत्ति के साथ गौतम अडानी दुनिया के दूसरे सबसे अमीर व्यक्ति के पायदान तक पहुंचे थे। लेकिन इस साल जनवरी के आखिर में आई हिंडनबर्ग  रिपोर्ट ने उन्हें जोरदार झटका दिया है।
 कितने कर्जे में डूबे है गौतम अडानी 
अडानी समूह पर कुल दो लाख करोड़ रुपये का कर्ज है। बीते तीन साल में ही अदाणी समूह पर कर्जे की रकम दोगुनी हो गई है। कुल कर्जे में भारतीय बैंकों की हिस्सेदारी 40 फीसदी से भी कम यानी 80 हजार करोड़ से भी कम है। इसमें भी प्राइवेट बैंकों से लिया गया कर्ज का प्रतिशत 10 फीसदी से भी कम है। वैश्विक फर्म जेफरीज के मुताबिक, बैंकों द्वारा दिया गया कर्ज तय सीमा का भीतर ही है। 

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