कांग्रेस को जल्द ही अपना नया अध्यक्ष मिल सकता हैं, गांधी परिवार अबकी बार कांग्रेस अध्यक्ष पद को लेकर अपनी स्थिति साफ कर चुका हैं। इसलिए दो कद्दावर नेताओं के नाम अध्यक्ष पद की दौड़ में शामिल होने के खबरे चल रही हैं। गांधी परिवार के वफादार व सियासत के जादूगर अशोक गहलोत गांधी परिवार की सियासी बागड़ोर को अपने हाथ में लेने सबसे ज्यादा मजबूत स्थिति में देखे जा रहे हैं। गहलोत अंत तक राहुल गांधी का नाम का अध्यक्ष पद के लिए गांधी परिवार के सामने प्रस्ताव रख रहे थे, लेकिन गांधी परिवार का कोई भी वारिस कांग्रेस का अध्यक्ष पद के लिए अपना नामांकन भरने के लिए तैयार नहीं है।
बुधवार को सोनिया गांधी से मिलने दिल्ली पहुंचे अशोक गहलोत ने भी माना कि वह अध्यक्ष पद के लिए तैयार हैं, लेकिन अंत तक राहुल गांधी को ही यह पद संभालने के लिए मनाएंगे। गहलोत के बयान से माना जा रहा है कि उन्होंने अध्यक्ष पद की दावेदारी को खुलकर स्वीकार कर लिया है और यदि सब कुछ ठीक रहा तो गांधी परिवार के समर्थन वाले उम्मीदवार के तौर पर वह चुनाव में उतरेंगे।
मनमोहन मॉडल को अपना कर गांधी परिवार पर्दे के पीछे हासिल करेंगा कुर्सी
संन 2005 में सोनिया गांधी ने त्याग की भावनाओं को अपनाते हुए मनमोहन सिंह को पीएम की कुर्सी पर बैठाया था। जो राजनीति में एक व्यापक घटना थी ,लेकिन मनमोहन सिंह के पीएम रहते हुए भी सोनिया गांधी ही पर्दे के पीछे पीएमओ के कामकाज को देख रही थी, यानि माना जाए की एक तौर पर सोनिया गांधी ही सरकार को चला रही थी।
गहलोत को अध्यक्ष बनाकर भाजपा को जवाब
दरअसल भाजपा कांग्रेस को परिवारवाद के मुद्दे पर कांग्रेस को घेरती आए हैं, आए दिन पीएम मोदी गांधी परिवार पर परिवारवाद को लेकर सियासी निशाना बनाते हैं। ऐसे जब देश की सत्ताधारी पार्टी को घेरने के लिए गांधी परिवार को निशाना बनाती हैं तो वह इस आरोप से छुटकारा पाकर भाजपा को जवाब देना चाहती हैं। गांधी परिवार बैकडोर के सहारे पार्टी कमान अपने हाथ रखेगा ताकि सियासत के केंद्र बिंदु से बाहर ना रह पाए।
गांधी परिवार का ‘प्लान’ !
आगामी चुनावों में गांधी परिवार सियासत में अपनी स्थिति स्पष्ट कर अगले लोकसभा चुनाव की तैयारी करेगा, क्योंकि अध्यक्ष पद की बागडोर संभालने के बाद अशोक गहलोत को अपने गृहराज्य राजस्थान में सरकार को बरकरार रखना होगा, जंहा ऐसा करना चुनौती पूर्ण हैं। अगर राजस्थान के चुनाव में जीतती नहीं लेकिन अच्छी सीटे लाने में कामयाब हो सकती हैं तो पार्टी के लिए राजस्थान में लोकसभा के लिए सियासी पैरामीटर अच्छे परिणाम दे सकता हैं। जंहा से कांग्रेस को काफी फायदा हो सकता हैं, राजस्थान हिंदी बैल्ट का सबसे बड़ा राज्य हैं, और हिंदी बैल्ट में ही कांग्रेस अपनी नैया नहीं बचा पा रही हैं। इसलिए गांधी परिवार गहलोत के सहारे हिंदी बैल्ट में सही जनाधार पाकर भाजपा को चुनौती देने स्थिति में आ सकती हैं। जिससे लोकसभा में सरकार बनाने के लायक सीटे लाने के बाद गांधी परिवार को नुमांइदो के सहारे आगे किया जा सकता हैं।