पीड़िता को बच्चा पैदा करने के लिए मजबूर करना है सविधान के खिलाफ - सुप्रीम कोर्ट - Punjab Kesari
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पीड़िता को बच्चा पैदा करने के लिए मजबूर करना है सविधान के खिलाफ – सुप्रीम कोर्ट

देश में आये दिन महिलाओं को यौन उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है। जहां देश के अंदर हर

देश में आये दिन महिलाओं को यौन उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है।  जहां देश के अंदर हर दिन होने वाली बालात्कार की संख्या  87  के भी पार है।  हालांकि ये वो अंक हैं जिन्हें दर्ज किया जाता है। ऐसे और भी कई  मामले हैं जो सामाज के डर से उजागर भी नहीं किये जाते।  वो एक ऐसे बक्से में बंद होकर रह जाते हैं जिसमें मासूमियत के साथ-साथ इंसानियत की भी हत्या की जाती है।  बता दें की देश में कई ऐसे मामले भी सामने आये हैं जहां दुष्कर्म करने वाले व्यक्ति महिलाओं को मजबूरन बच्चा पैदा करने के लिए कहते हैं।  जिसको लेकर सुप्रीम कोर्ट ने भी बड़ा जवाब दिया है।  
सुप्रीम कोर्ट ने दी गर्भपात की मंजूरी 
21 अगस्त के दिन सुप्रीम कोर्ट में एक ऐसे केस की सुनवाई हुई जहां एक दुष्कर्मी ने पीड़िता को बच्चा पैदा करने के लिए मजबूर किया हुआ था।  जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने पीड़िता के एबॉर्शन को लेकर सुनवाई करते हुए कहा की पीड़िता को बच्चा पैदा करने के लिए मजबूर करना है सविधान के खिलाफ है।  सुप्रीम कोर्ट ने कहा की इस हालत में महिलाओं का बच्चा पैदा करना काफी नुक्सान देह हो सकता है।  साथ ही उनको मानसिक और शारिक तनाव का भी सामना करना पड़ सकता है, जिस कारण बच्चे के लिए मजबूर करने सविधान के खिलाफ है।   
क्या था पूरा मामला ? 
दरअसल गुजरात के ग्रामीण इलाके की एक आदिवासी महिला जो  27 हफ्ते 3 दिन  की गर्भवती  थी।  जिसपर गुजरात हाई कोर्ट सुनवाई कर रहा था, जिसके फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाते हुए महिला को गर्भपात करने की इजाज़त दी।  बता दें की गुजरात हाई कोर्ट ने  एडवांस प्रेग्नेंसी के आधार पर महिला के अबॉरशन के लिए मना कर दिया था।  लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने नई मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर गर्भपात की इजाज़त देदी।  और कहा की सुरक्षित गर्भपात संभव है।  
देश में हर दिन कितने बलात्कार होते हैं ? 

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