किसानों को कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग के बजाए खामियों को स्पष्ट रूप से बताना चाहिए: नीति आयोग के सदस्य - Punjab Kesari
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किसानों को कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग के बजाए खामियों को स्पष्ट रूप से बताना चाहिए: नीति आयोग के सदस्य

नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद ने कहा है कि किसानों को सरकार के साथ बातचीत फिर से

नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद ने कहा है कि किसानों को सरकार के साथ बातचीत फिर से शुरू करने के लिये कृषि कानूनों को एकदम से निरस्त करने की मांग के बजाए खामियों को स्पष्ट रूप से बताने के बारे में ‘कुछ संकेत’ देने चाहिए। तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ कुछ किसान संगठनों के विरोध प्रदर्शन जारी रहने के बीच उन्होंने यह बात कही।
भारतीय किसान संघ (बीकेयू) के नेता राकेश टिकैत ने 29 अप्रैल को कहा था कि जब भी सरकार चाहे, किसान संगठन केंद्र के साथ तीनों विवादास्पद कृषि कानूनों पर चर्चा के लिए तैयार हैं। लेकिन उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि चर्चा कानून को निरस्त करने के बारे में होनी चाहिए।
नीति आयोग के सदस्य (कृषि) चंद ने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि राकेश टिकैत का बयान स्वागतयोग्य है, लेकिन साथ ही, कुछ नेताओं के बयान आए कि हमारी मांगें समान हैं, (हम चाहते हैं) तीन कृषि कानूनों को निरस्त होने चाहिये। उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए, जब तक वे उन तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग पर कायम रहते हैं, तब किस तरह की बात हो सकती है।’’
चंद ने जोर देकर कहा कि सरकार तीन कृषि कानूनों के हर प्रावधान पर चर्चा करने को तैयार है। उन्होंने कहा, ‘‘सही मायने में, किसान की ओर से कुछ संकेत होने चाहिए कि वे सभी मामलों पर चर्चा करने के लिए तैयार हैं और वे इन कानूनों की कमियों को इंगित करने के लिए तैयार हैं। सरकार ने उनसे पहले ही कहा है कि इन कानूनों में क्या कुछ गलत है उसे सामने रखा जाये।’’
नीति आयोग के सदस्य ने कहा, ‘‘अगर कोई दो चीजें गलत हैं, तो हमें बताएं, अगर ऐसी पांच चीजें हैं जिन्हें आप स्वीकार नहीं करते हैं, हमें बताइये।’’ इन कृषि कानूनों को सितंबर 2020 में लागू किया गया था। इन तीनों कृषि कानूनों को केंद्र ने कृषि क्षेत्र में प्रमुख सुधारों के रूप में पेश किया है जिससे बिचौलियों का खात्मा होगा और किसानों को देश में कहीं भी अपनी उपज बेचने की अनुमति होगी।
चंद ने कहा, ‘‘इसलिए, मुझे लगता है कि अगर किसान संगठन यह संकेत देते हैं कि हम इन कृषि कानूनों पर चर्चा करने को तैयार हैं। मुझे लगता है कि यह किसान नेता राकेश टिकैत का एक बड़ा बयान होगा।’’ सरकार ने आखिरी बार 22 जनवरी को किसान नेताओं के साथ बातचीत की थी। दिल्ली में किसानों द्वारा 26 जनवरी की ट्रैक्टर परेड के हिंसक हो जाने के बाद दोनों पक्षों के बीच बातचीत रुक गई थी।

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