ईडी ने एयरसेल-मैक्सिस PMLA प्रकरण में की चिदंबरम से फिर पूछताछ - Punjab Kesari
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ईडी ने एयरसेल-मैक्सिस PMLA प्रकरण में की चिदंबरम से फिर पूछताछ

जून में ईडी की ऐसी ही पूछताछ के बाद चिदंबरम ने कहा था कि उन्होंने एजेंसी से जो

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने एयरसेल-मैक्सिस धनशोधन मामले में पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम से फिर शुक्रवार को पूछताछ की। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि चिदंबरम का बयान धनशोधन रोकथाम अधिनियम के तहत दर्ज किया जाएगा।

समझा जाता है कि जांच एजेंसी इस सौदे के बारे में चिदंबरम से कुछ नए सवाल करना चाहती है। उसने इससे पहले इस सौदे के बारे में एफआईपीबी के अधिकारियों का बयान दर्ज किया था। उम्मीद है कि चिदंबरम का उनसभी से आमना-सामना कराया जाएगा। पहले चिदंबरम से उनके वित्त मंत्री रहने के दौरान विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (जो अब अस्तित्व में नहीं है) द्वारा एयरसेल-मैक्सिस सौदे को मंजूरी देने में अपनायी गई प्रक्रिया और तत्कालीन स्थिति के बारे में सवाल किये गये थे।

बता दें कि चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम से इस मामले में ईडी से दो बार पूछताछ कर चुकी है। जून में ईडी की ऐसी ही पूछताछ के बाद चिदंबरम ने कहा था कि उन्होंने एजेंसी से जो कुछ कहा, वह पहले से ही सरकारी दस्तावेजों में दर्ज है। उन्होंने यह भी कहा था कि कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई है, उसके बाद भी जांच शुरु की गई।

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उन्होंने ट्वीट किया था, “आधे से ज्यादा समय सवालों के जवाब को बिना किसी त्रुटि के टाईप करने, बयान को पढ़ने और उस पर दस्तखत करने में लगाया गया।” एयरसेल-मैक्सिस प्रकरण का संबंध विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) द्वारा मैसर्स ग्लोबल कम्युनिकेशन होल्डिंग सर्विसेज लिमिटेड को एयरसेल में निवेश के लिए दी गई मंजूरी से है।

सुप्रीम कोर्ट ने 12 मार्च को सीबीआई और ईडी को टू जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामलों की जांच, जिनमें एयरसेल मैक्सिस कथित धनशोधन प्रकरण भी शामिल है, छह महीने में पूरा करने का निर्देश दिया था। एजेंसी ने कहा था कि एयरसेल-मैक्सिस एफडीआई मामले में एफआईपीबी मंजूरी मार्च, 2006 में चिदंबरम ने दी थी जबकि वह 600 करोड़ रुपये तक ही परियोजना प्रस्तावों को मंजूरी देने के लिए अधिकृत थे, और उससे अधिक की राशि के लिए आर्थिक मामलों से संबंधित मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) से मंजूरी जरुरी थी।

ईडी तत्कालीन वित्तमंत्री द्वारा दी गई एफआईपीबी मंजूरी की स्थितियों की जांच कर रही है। ईडी ने आरोप लगाया, “इस मामले में 80 करोड़ डॉलर (3500 करोड़ रुपये से अधिक) एफडीआई की मंजूरी मांगी गयी थी। अतएव सीसीईए ही मंजूरी देने के लिए अधिकृत थी। लेकिन सीसीईए से मंजूरी नहीं ली गई।”

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