क्या आप भी सोने के बाद नींद में हंसते या मुस्‍कुराते हैं? तो इसके पीछे सिर्फ सपने नहीं बल्कि हो सकती है ये बड़ी वजह... - Punjab Kesari
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क्या आप भी सोने के बाद नींद में हंसते या मुस्‍कुराते हैं? तो इसके पीछे सिर्फ सपने नहीं बल्कि हो सकती है ये बड़ी वजह…

लंबे दिन के बाद इंसान को रात की आरामदायक नींद की जरूरत होती है। ताकि अगला दिन एनर्जेटिक फील हो। लेकिन कभी-कभी, जब आप गहरी नींद में होते हैं तो आपके चेहरे पर हँसी आती है। जैसे ही आप जागते हैं आप मुस्‍कुरा देते हैं। आपने भी नींद में चलने वाले लोग, मुस्कुराते या हंसते हुए लोगों को जरूर देखा होगा। ज्यादातर लोग सोचते हैं कि जब कोई सोते समय सपना देखता है तो वह मुस्कुराता है। हालाँकि, यह पूरा सच नहीं है, सच्चाई जानकर आप चौंक जाएंगे।

नींद में हसना हो सकता है घातक

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एक 32 साल की महिला जो चार साल से रात को नींद में जोर-जोर से हंस रही है, उसका एक सेंटर में डॉक्टरों द्वारा इलाज किया जा रहा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, महिला के पति ने दावा किया कि वह रात को सोते ही गहरी नींद में चली जाती है। पहले वह शुरुआत में मुस्कुराती है, जिसे देखना अच्छा लगता है। लेकिन थोड़ी देर बाद वह जोर-जोर से हंसने लगती हैं। डॉक्टरों का दावा है कि सोते समय मुस्कुराना या हंसना एक आम बात है, लेकिन ऐसा बार-बार होने पर यह गंभीर समस्या बन जाती है।

सो कर जागने के बाद कुछ याद नहीं रहता

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नींद विशेषज्ञों का दावा है कि जब लोग गहरी नींद में होते हैं तो उन्हें रैंडम आई मूवमेंट (RIM) का अनुभव होता है। इस दौरान ज्यादातर लोग सपने देखते हैं। जब भी कोई आकर्षक सपना आता है, तो मुस्कुराना आम बात है। लेकिन अगर ऐसा होता रहे तो यह एक संक्रमण हो सकता है। डॉक्टरों ने महिला के मस्तिष्क की जांच की तो कोई निष्कर्ष नहीं निकला। उसकी नींद भी नार्मल थी। जब वह जागी, तो उसे घटनाओं की कोई याद नहीं थी क्योंकि हँसते समय उसका शरीर बिल्कुल नहीं हिल रहा था। वह कभी-कभी आँखें खुली या बंद करके भी हँसती थी। इसके अतिरिक्त, महिला ने कोई भी एंटीसाइकोटिक्स या एंटीडिप्रेसेंट नहीं लिया, जो लोगों को हंसाने के लिए जाना जाता है।

किस तरह का है ये डिसऑर्डर?

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डॉक्टरों के अनुसार, यह गंभीर न्यूरोलॉजिकल स्थिति, जिसे पैरासोमनिया के नाम से जाना जाता है, इसके लिए जिम्मेदार है। यह एक स्लीप बिहेवियर डिसऑर्डर है। यही कारण है कि कई लोगों को सोते समय बड़बड़ाने की आदत होती है। वे दिन से ही किसी घटना पर चर्चा शुरू कर देते हैं। ऐसा मस्तिष्क के अधिक काम करने के वजह से होता है। पार्किंसंस रोग या मल्टीपल सिस्टम एट्रोफी जैसे न्यूरोलॉजिकल संबंधी विकारों वाले लोग भी कभी-कभी इसको देखा जा सकता हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, एक्सपर्ट्स इस फैसले पर पहुंचे कि जिस किसी को भी ऐसी समस्या है, उसे तुरंत एक्सपर्ट की मदद लेनी चाहिए। स्ट्रेस नहीं लेना चाहिए। आप कब और कैसे सोते हैं, इस पर ध्यान दें। व्यक्ति को पेट के बल नहीं बल्कि पीठ के बल सोने की आदत डालनी चाहिए।

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