दिनाकरण के प्रमुख सहयोगी ने एएमएमके छोड़ी, द्रमुक का दामन थामा - Punjab Kesari
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दिनाकरण के प्रमुख सहयोगी ने एएमएमके छोड़ी, द्रमुक का दामन थामा

एएमएमके संस्थापक टीटीवी दिनाकरण के महत्वपूर्ण सहयोगियों में से एक वी सेंथिल बालाजी ने पार्टी छोड़कर शुक्रवार को

एएमएमके संस्थापक टीटीवी दिनाकरण के महत्वपूर्ण सहयोगियों में से एक वी सेंथिल बालाजी ने पार्टी छोड़कर शुक्रवार को एम के स्टालिन के नेतृत्व वाली द्रमुक का दामन थाम लिया।

अयोग्य ठहराए गए विधायक वी सेंथिल बालाजी यहां पार्टी मुख्यालय अन्ना अरिवालयम में एम के स्टालिन की मौजूदगी में द्रमुक में शामिल हुए। वह अयोग्य घोषित किए गए अन्नाद्रमुक के 18 विधायकों में से एक हैं।

सेंथिल के पार्टी से अलग होने के मायने हैं क्योंकि यह घटनाक्रम ऐसे समय हुआ है जब ऐसी खबरें चल रही हैं कि तमिलनाडु विधानसभा अध्यक्ष पी धनपाल के अन्नाद्रमुक के 18 विधायकों को अयोग्य घोषित करने के फैसले को 25 अक्टूबर को मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा बरकरार रखने के बाद से एएमएमके संस्थापक दिनाकरण के लिए अपना कुनबा एकजुट रखना मुश्किल हो रहा है।

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पिछले वर्ष धनपाल ने उन विधायकों को मुख्यमंत्री के पलानीस्वामी के खिलाफ विद्रोह करने के कारण अयोग्य ठहरा दिया था। खबरों में दावा किया गया कि मद्रास उच्च न्यायालय के फैसले खिलाफ अपील नहीं करने के दिनाकरण के फैसले से कई विधायक खुश नहीं हैं।

बालाजी के पार्टी छोड़ने पर दिनाकरण ने कहा कि उन्हें इसको लेकर वास्तव में चिंता नहीं है। उन्होंने अपने पूर्व सहयोगी को शुभकामनाएं दी।

बालाजी ने कहा कि वह स्टालिन के कार्य से प्रभावित होकर द्रमुक में शामिल हुए हैं। उन्होंने कहा कि द्रमुक नेता राज्य में सत्ताधारी अन्नाद्रमुक के साथ ही केंद्र की भाजपा नीत राजग से मुकाबला करने को लेकर दृढ़ हैं। उन्होंने स्टालिन के नेतृत्व क्षमता की भी प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि अन्नाद्रमुक ‘‘डूबता जहाज’’ है तथा कई और पदाधिकारी उसे छोड़कर द्रमुक में शामिल होना चाहते हैं।

बालाजी ने कहा कि लोग न केवल 2019 के लोकसभा चुनाव में द्रमुक के लिए वोट करेंगे बल्कि 2021 में अगले विधानसभा चुनाव में पार्टी को जनादेश देंगे और स्टालिन को मुख्यमंत्री बनाएंगे।

इस पर प्रतिक्रिया देते हुए पलानीस्वामी ने सालेम में संवाददाताओं से कहा कि सभी को कृतज्ञता दिखानी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘यह केवल इसलिए विधायक बने और एक मंत्री भी बने कि वह अन्नाद्रमुक में थे। किसी को भी कृतज्ञता दिखाना नहीं भूलना चाहिए।’’

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