DHFL Scam : सीबीआई ने बिल्डर अविनाश भोसले के परिसर से अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर किया जब्त - Punjab Kesari
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DHFL scam : सीबीआई ने बिल्डर अविनाश भोसले के परिसर से अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर किया जब्त

केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो ने डीएचएफएल से संबंधित 34,615 करोड़ रुपये के बैंक धोखाधड़ी मामले के सिलसिले में पुणे

केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने डीएचएफएल से संबंधित 34,615 करोड़ रुपये के बैंक धोखाधड़ी मामले के सिलसिले में पुणे में बिल्डर अविनाश भोसले के परिसर से अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर जब्त किया है। अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि आरोप है कि 2011 में वर्वा एविएशन ने 36 करोड़ रुपये में एब्ल्यू109एपी हेलीकॉप्टर खरीदा था। वर्वा एशिएन का मालिकाना हक एसोसिएशन ऑफ पर्संस के पास है।
अधिकारियों के मुताबिक, डीएचएफएल ग्रुप के वाधवान परिवार के स्वामित्व वाला आर के डब्ल्यू डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड इस एसोसिएशन की सदस्यता और हेलीकॉप्टर के रखरखाव के लिए करोड़ों रुपये का भुगतान कर 2017 में कथित रूप से उसका हिस्सा बना था।
इस आशंका का तार्किक आधार है कि इस एसोसिएशन में हिस्सेदारी खरीदने के लिए आर के डब्ल्यू डेवलपर्स द्वारा इस्तेमाल की गई रकम 17बैंको के समूह से ऋण के रूप में ली गई थी और इस तरह डीएचएफएल, उसके पूर्व अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक कपिल वाधवान, निदेशक धीरज वाधवान और अन्य ने इस बैंक समूह को 34,615 करोड़ रुपये का चूना लगाया था।
अधिकारियों ने बताया कि निवेश के बारे में सूचना मिलने के बाद सीबीआई ने शनिवार को पुणे में बैनर रोड पर बिल्डर अविनाश भोसले के परिसर से हेलीकॉप्टर जब्त किया।
उन्होंने बताया कि सीबीआई ने डीएचएफएल एवं यस बैंक में भ्रष्टाचार के एक अलग मामले में हाल ही में भोसले के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया है।
अधिकारियों के अनुसार, सीबीआई ने 34,615 करोड़ रुपये के बैंक धोखाधड़ी प्रकरण में 20 जून को दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड (डीएचएफएल), वाधवान बंधुओं एवं अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया था।
आरोप है कि इन सभी ने डीएचएफएल के फर्जी बही खातों में 34,615 करोड़ रुपये अंतरित कर इस धनराशि की हेराफेरी की और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व वाले 17 बैंकों के समूह के साथ ठगी की।
अधिकारियों के मुताबिक, इन सभी ने फर्जी निकायों को खुदरा ऋण के रूप में पैसे देकर डीएचएफएल में सरकारी धन की हेराफेरी की और इसके लिए फर्जी कंपनियों एवं समानांतर लेखा प्रणाली, जिसे ‘बांद्रा बुक्स’ कहा जाता है, का कथित रूप से इस्तेमाल किया।
जांच एजेंसी ने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की शिकायत पर यह कार्रवाई की है। इसी बैंक की अगुवाई में बैंक समूह ने ऋण दिया था।

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