राज्यसभा में उठी अमीरों की संपत्ति पर कर लगाए जाने मांग, RJD सदस्य ने कहा- यह कदम उठाने से देश को होगा लाभ - Punjab Kesari
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राज्यसभा में उठी अमीरों की संपत्ति पर कर लगाए जाने मांग, RJD सदस्य ने कहा- यह कदम उठाने से देश को होगा लाभ

अमीरों की संपत्ति पर कर लगाए जाने की मांग करते हुए राज्यसभा में बृहस्पतिवार को राष्ट्रीय जनता दल

अमीरों की संपत्ति पर कर लगाए जाने की मांग करते हुए राज्यसभा में बृहस्पतिवार को राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के एक सदस्य ने कहा कि यह कदम उठाने से देश को लाभ होगा और स्वास्थ्य तथा शिक्षा सहित अन्य क्षेत्रों में जरूरतमंद लोगों की मदद की जा सकेगी।
शून्यकाल में यह मुद्दा उठाते हुए राजद सदस्य मनोज कुमार झा ने कहा कि आजादी के 70 साल बाद भी देश में असमानता व्याप्त है और अमीर गरीब के बीच गहरी खाई है जो कम होने के बजाय बढ़ती ही जा रही है। उन्होंने कहा कि यह विडंबना ही है कि सवा सौ करोड़ से अधिक की आबादी वाले देश में मात्र पांच प्रतिशत भारतीयों के पास 60 फीसदी संपत्ति है और 50 प्रतिशत लोगों के पास मात्र तीन फीसदी संपत्ति है। उन्होंने कहा ‘‘कोविड में जहां सब कुछ तहस-नहस हो गया वहीं कुछ लोगों की संपत्ति बढ़ती रही।’’
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झा ने कहा कि देश में 1985 तक धनिकों की संपत्ति पर कर की एक व्यवस्था थी जिसे वापस लाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अमीरों की संपत्ति पर कर लगाने से उन वर्गों को बहुत लाभ होगा जिनकी जरूरत इस कर से पूरी होगी। उन्होंने कहा ‘‘इससे देश को ही लाभ होगा और स्वास्थ्य और स्वास्थ्य तथा शिक्षा सहित अन्य क्षेत्रों में जरूरतमंद लोगों की मदद की जा सकेगी।’’
शून्यकाल में ही कांग्रेस के इमरान प्रतापगढ़ी ने बुनकरों से जुड़ा मुद्दा उठाते हुए कहा कि कृषि के बाद देश में सबसे ज्यादा रोजगार हथकरघा उद्योग सृजित करता है और यह सर्वविदित है। उन्होंने कहा ‘‘कपड़ा उद्योग में हथकरघा क्षेत्र का योगदान 60 फीसदी है लेकिन बुनकरों की हालत बहुत खराब है। 
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अत्यधिक जीएसटी की वजह से पूरा यार्न बाजार तबाह हो गया है। बिजली की दर में वृद्धि और चीन के कम कीमत वाले यार्न के कारण बुनकरों की कमर पूरी तरह टूट चुकी है। उन्होंने सरकार से इस क्षेत्र को तत्काल राहत दिए जाने की मांग की।
प्रतापगढ़ी ने कहा कि पहले देश के कई हिस्से हथकरघा उद्योग के लिए प्रसिद्ध थे लेकिन आज इन जगहों के बुनकर ईंट भट्ठों में काम करने के लिए मजबूर हैं। उन्होंने सरकार पर हथकरघा क्षेत्र के प्रति उदासीन रुख रखने का आरोप लगाया और कहा कि जो हालात हैं उनमें इस उद्योग के पुनर्जीवित होने के आसार नजर नहीं आते।

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