लोकसभा में विधेयक पर चर्चा के दौरान सरकार और विपक्ष के बीच वार पलटवार हुआ। और इन सब के बीच विपक्ष ने विधेयक को संघवाद की भावना के खिलाफ और राज्य के अधिकारों पर डाका करार दिया, वहीं, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इसे जनता के हित में और पूरी तरह सांविधानिक बताया। विधेयक पर साढ़े चार घंटे चली चर्चा के दौरान शाह ने पूछा कि आज विपक्ष को मणिपुर हिंसा की याद क्यों नहीं आ रही?
अधिकारों का दुरुपयोग
उन्होंने आरोप लगाया, केजरीवाल सरकार पाप छिपाने के लिए अधिकारों का दुरुपयोग कर रही है। दिल्ली सरकार ने विजिलेंस विभाग को इसलिए निशाना बनाया, क्योंकि वहां आबकारी घोटाले की फाइल, सीएम के नए बंगले के निर्माण पर अवैध रूप से हुए खर्च की फाइल, उनकी पार्टी के प्रचार पर हुए 90 करोड़ खर्च की जांच की फाइल बंद थीं। वहीं इस पूरे मामले पर गृह मंत्री शाह ने कहा, दिल्ली की स्थापना पंजाब प्रांत से अलग करके 1911 में हुई। आजादी के बाद सिद्धरमैया समिति ने दिल्ली को राज्य स्तर का दर्जा देने की सिफारिश की थी। जब इस पर संविधान सभा में चर्चा हुई तो जवाहर लाल नेहरू, भीमराव आंबेडकर, सरदार पटेल, राजेंद्र प्रसाद, राजाजी तक ने दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जाने का विरोध किया था। शाह ने कहा, जब दिल्ली पुनर्गठन अधिनियम के जरिये दिल्ली विधानसभा गठित करने की मंजूरी दी गई, तब भी प्रावधान किया गया कि संसद को दिल्ली के लिए कानून बनाने का अधिकार होगा।
नौकरशाही को और अधिक शक्ति दी जा रही – राघव चड्डा
वहीं, आम आदमी पार्टी से राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने कहा कि केंद्र सरकार दिल्ली सेवा बिल के सहारे आप सरकार को अस्थिर करना चाहती है। इस बिल में नौकरशाही को और अधिक शक्ति दी जा रही है, जिसके बाद वे मंत्री की बात तक नहीं सुनेंगे। इससे मंत्री गुलाम बनकर रह जाएंगे। चड्ढा ने कहा कि दिल्ली सरकार की जनता के प्रति जवाबदेही है। जनता ने आप सरकार को काम करने के लिए चुना है। दिल्ली में साल 2015 के बाद से केंद्र सरकार को डर सताने लगा है कि जब तक मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल हैं, तब तक दिल्ली में सत्ता हासिल नहीं हो सकती। ऐसे में दिल्ली सरकार को सारी शक्ति छीनकर कमजोर कर दिया जाए।
नपुंसक बनाने का प्रयास
आगे उन्होनें बताया कि इस बिल की मदद से पूरी सरकार को अस्थिर और प्रशासनिक तौर पर नपुंसक बनाने का प्रयास किया जा रहा है। बिल के खिलाफ हम संसद और न्यायपालिका दो स्तर पर लड़ रहे हैं। विश्वास है कि हमारी जीत होगी। इस बिल के खिलाफ सभी एकजुट हैं। बिल के समर्थन में केंद्र सरकार के साथ आई बीजेडी और वाईएसआरसीपी के बारे में उन्होंने कहा कि कुछ मजबूरियां रहीं होंगी। फिर भी हमें विश्वास है जो भी राष्ट्रवाद का समर्थन करता है, वह इस बिल का विरोध करेगा।