मणिपुर हिंसा का हवाला देते हुए विपक्षी पार्टियां लोकसभा में केंद्र सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लेकर आई हैं। कांग्रेस के गौरव गोगोई ने मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया। जिसे पचास सांसदों के समर्थन के बाद लोकसभा स्पीकर ने स्वीकार कर लिया. अब इस पर बहस होगी। आपको बता दे कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को इस पर गुरुवार से ही चर्चा आरंभ करवानी चाहिए।
मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की जरूरत – मनीष तिवारी
वही , कांग्रेस के लोकसभा सदस्य मनीष तिवारी ने यहां पार्टी मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन में यह जानकारी देते हुए कहा कि मणिपुर 84 दिनों से जल रहा है और वहां के हालात काफी खराब हो गये हैं, इसलिए मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की जरूरत महसूस हुई है। उन्होंने कहा कि इंडिया गठबंधन नियम 198 के तहत अविश्वास प्रस्ताव लाया है और इस पर चर्चा का जवाब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देना चाहिए।
पिछले 84 दिनों से मणिपुर में हालात बेहद खराब -तिवारी
उन्होंने कहा, ”पिछले 84 दिनों से मणिपुर में हालात बेहद खराब हैं और कानून-व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है. राज्य समुदायों में बंटा हुआ है और उनके बीच जातीय संघर्ष चल रहा है. सरकार नाम की कोई चीज नहीं है. राज्यपाल अपने पास उपलब्ध संवैधानिक साधनों का उपयोग नहीं कर रही हैं।”
गुरुवार को ही प्रस्ताव पर चर्चा शुरू
मनीष तिवारी ने आगे कहा कि सदन की परंपरा रही है कि जब लोकसभा अध्यक्ष द्वारा अविश्वास प्रस्ताव मंज़र कर लिया जाता है तो अन्य सभी विधायी कामकाज रोककर प्राथमिकता से उस पर चर्चा की जाती है। उन्होंने कहा कि गुरुवार को ही प्रस्ताव पर चर्चा शुरू कर दी जानी चाहिए और प्रधानमंत्री को अविश्वास प्रस्ताव का जवाब देना चाहिए और दोनों सदनों में मणिपुर पर विस्तृत बयान देना चाहिए क्योंकि कई सवालों के जवाब केवल सरकार का शीर्ष नेतृत्व ही दे सकता है। उन्होंने सवाल किया कि अगर प्रधानमंत्री संसद के बाहर वक्तव्य दे सकते हैं तो वे संसद के अंदर बोलने से क्यों हिचकिचा रहे हैं।
एनडीए सरकार के पास अभी लोकसभा में 330 से ज्यादा सांसदों का समर्थन
साल 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को पूर्ण बहुमत मिला था। वही ,भाजपा की अगुआई वाली एनडीए सरकार के पास अभी लोकसभा में 330 से ज्यादा सांसदों का समर्थन है। अकेले भाजपा के 301 सांसद हैं। वहीं, विपक्षी खेमे यानी इंडिया गठबंधन के पास लोकसभा में 142 और राज्यसभा में 96 सांसद हैं। संख्याबल के हिसाब से दोनों सदनों में सत्ता पक्ष मजबूत है। अगर BRS, YSR कांग्रेस और BJD के सांसदों को मिला भी दिया जाए तो भी यह संख्या एनडीए से कम है। ऐसे में अविश्वास प्रस्ताव का गिरना तय है।
जानिए अविश्वास प्रस्ताव कैसे लाया जाता है?
सदन में अविश्वास प्रस्ताव लाने का भी एक नियम है. इसे नियम 198 के तहत लोकसभा में पेश किया जाता है। इस अविश्वास प्रस्ताव को संसद में पेश करने के लिए करीब 50 सांसदों की जरूरत होती है। अगर संसद में अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग के दौरान 51 फीसदी से ज्यादा सांसद इसके पक्ष में वोट करते हैं तो सरकार मुश्किल में पड़ जाती है. ऐसे में सरकार को अपना बहुमत साबित करना होगा।
2024 लोकसभा चुनाव के लिए पहले एजेंडा सेट करना
देश में अगले साल लोकसभा चुनाव हैं. इस समय देश में मोदी सरकार के खिलाफ विपक्षी दलों का आंदोलन काफी तेज हो गया है। वहीं कांग्रेस विश्वास प्रस्ताव लाकर विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के लिए आक्रामक होने का माहौल बनाने की कोशिश करेगी, ताकि वह मोदी सरकार के खिलाफ माहौल बनाकर लोकसभा चुनाव में इसका फायदा उठा सके. विपक्ष मणिपुर हिंसा, राहुल की सदस्यता, पहलवानों का प्रदर्शन, बेरोजगारी, महंगाई जैसे मुद्दों पर आगामी चुनाव का एजेंडा तय करने की कोशिश करेगा और जनता के बीच जाकर मोदी सरकार के खिलाफ नैरेटिव सेट करेगा।