कांग्रेस ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर एक बार फिर हमला बोला है। कांग्रेस ने वीरवार को आरोप लगाया कि ‘‘सरकार के कुछ दोस्तों को थाली में सजाकर’’ ऋण दिया जा रहा है और यह जानना चाहा कि कौन से बैंकों पर इस तरह के कर्ज देने के लिए दबाव डाल रहा है, जिससे अर्थव्यवस्था ‘‘भारी खतरे’’ में पड़ गई है।
विपक्षी दल ने अडाणी समूह की ऋण स्थिति पर न्यूयॉर्क स्थित ‘क्रेडिट रिसर्च फर्म क्रेडिटसाइट्स’ के विश्लेषण का हवाला देते हुए दावा किया कि सभी प्रमुख अडाणी संस्थाओं का कुल सकल ऋण 2,30,000 करोड़ रुपये के करीब है।
कांग्रेस ने भाजपा पर लगाया बड़ा आरोप
कांग्रेस प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने यहां पार्टी मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि यदि कोई भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार द्वारा देश पर थोपी गई आर्थिक और वित्तीय स्थिति का विश्लेषण करता है, तो यह मानने का कोई कारण नहीं होगा कि यह एक ‘‘बुरे सपने’’ की तरह है।
उन्होंने कहा, ‘‘सबसे प्रमुख चिंता सरकार पर कर्ज का बढ़ता बोझ है। 2022-23 के अंत तक केंद्र सरकार का घरेलू और विदेशी कर्ज तथा अन्य देनदारियां बढ़कर 152.17 लाख करोड़ पर पहुंच गई जबकि 2013-14 के अंत तक यह आंकड़ा 55.9 लाख करोड़ रुपये था। इस तरह वित्त वर्ष 2023 में प्रति व्यक्ति कर्ज बढ़कर एक लाख 09 हजार रुपये हो चुका है। जबकि (31 मार्च, 2014) में प्रति व्यक्ति कर्ज लगभग 43 हजार रुपये था।’’
भाजपा पर करीबियों को कर्ज देने का आरोप
वल्लभ ने कहा कि ‘‘सरकार के कुछ दोस्तों को थाली में सजाकर’’ कर्ज दिया जा रहा है, जिसने राष्ट्रीय ऋण दायित्वों के शीर्ष पर पहुंचने से देश के लिए एक चिंताजनक स्थिति पैदा कर दी है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हाल में, न्यूयॉर्क स्थित ‘क्रेडिट रिसर्च फर्म क्रेडिटसाइट्स’ ने अडाणी समूह की ऋण स्थिति पर अपना विश्लेषण प्रकाशित किया। इस विश्लेषण से चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। सभी प्रमुख अडाणी संस्थाओं का कुल सकल ऋण 2,30,000 करोड़ रुपये के करीब है।’’
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने आरोप लगाया कि एक तरफ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने ‘दोस्तों’ के लिए हर तरह के करार सुनिश्चित कर रहे हैं और दूसरी तरफ उनके कारोबार को बढ़ावा देने के लिए बैंकों के खजाने खोले गए हैं। उन्होंने ट्विटर पर कहा, ‘‘खतरे को ध्यान में रखे बिना 2.3 लाख करोड़ रुपये का कर्ज दिया गया। दोस्तों का विकास, अर्थव्यवस्था का विनाश!’’
बैंकों पर दबाव डाला जा रहा है : कांग्रेस
वल्लभ ने रिपोर्ट के हवाले से कहा, ‘‘पिछले दो वर्षों (अप्रैल 2020 से जून 2022 तक) में अडाणी समूह 48 हजार करोड़ का कर्ज ले चुका है। जिसमें से अडाणी समूह ने 18,770 करोड़ रुपये केवल एसबीआई से कर्ज के रूप में लिये है।’’
उन्होंने कहा कि रिपोर्ट में कहा गया है कि अत्यधिक महत्वाकांक्षी ऋण-वित्त पोषित विकास योजनाएं अंततः बड़े पैमाने पर कर्ज के जाल में फंस सकती हैं। उन्होंने कहा, ‘‘साथ ही, 2014 में जैसे ही मोदी सरकार केंद्र की सत्ता में आई, एसबीआई ने अडाणी समूह के साथ एक अरब अमेरिकी डॉलर के लिए एक सैद्धांतिक समझौता तैयार किया और दुनियाभर में कई बैंकों को धन मुहैया कराने के लिए लाया गया।’’
वल्लभ ने कहा, ‘‘एक नया मामला सामने आया है जो एक प्रमुख टेलीविजन समाचार चैनल (एनडीटीवी) में अडाणी समूह द्वारा 29.19 प्रतिशत हिस्सेदारी के जरिये उसका चोरी-छिपे अधिग्रहण से संबंधित है। इसे चैनल के संस्थापकों से किसी तरह की बातचीत या सहमति के बिना लागू किया गया। अडाणी समूह ने अन्य 26 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने की खुली पेशकश की भी घोषणा की।’’
वल्लभ ने कहा कि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार को जवाब देना चाहिए कि सरकार की ओर से कौन एसबीआई जैसे बैंकों पर दबाव डाल रहा है कि वे राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था और बैंकों को भारी खतरे में डाल दें। उन्होंने पूछा, ‘‘वित्त मंत्रालय और भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) एक प्रमुख टीवी समाचार चैनल के अधिग्रहण प्रकरण पर चुपचाप क्यों बैठे हैं।’’