फिल्म उद्योग जिसका कार्य मानव समाज को मनोरनजन के साथ दर्पण भी दिखाना होता है। एक फिल्म को बनाने के लिए काफी समय और धन खर्च होता है ऐसे में किसी फिल्म की चोरी होना निर्माताऔर निर्देशक के लिए काफी नुकसान दायक हो जाता है। एक सिर्फ पैसा कमाने का ही साधन नहीं होती अपितु एक संदेश भी देती है। एक विधयेक जिसका उद्देश्य फिल्म सामग्री में चोरी पर अंकुश लगाना और रचनात्मक उद्योग की रक्षा करना है को राज्यसभा में पेश किया गया।
सदन में सिनेमैटोग्राफ विधेयक 2023 पेश
प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने सदन में सिनेमैटोग्राफ (संशोधन) विधेयक 2023 पेश किया। अनुराग ठाकुर ने सिनेमैटोग्राफ (संशोधन) विधेयक, 2019 को वापस लेने का प्रस्ताव पेश किया जिसे सदन ने शोर-शराबे के बीच मंजूरी दे दी। बाद में उन्होंने नया बिल पेश किया। इस विधेयक का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि फिल्म सामग्री को पायरेसी के कारण नुकसान न हो क्योंकि इस समस्या से उद्योग को भारी नुकसान होता है। ठाकुर ने पहले कहा कि यह विधेयक भारतीय फिल्मों को बढ़ावा देने और स्थानीय सामग्री को वैश्विक बनाने में मदद करने की दिशा में एक “क्रांतिकारी कदम” साबित होगा।
भारतीय फिल्म उद्योग हमारी सांस्कृतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा
लेकिन पायरेसी इसके लिए लगातार खतरा बनी हुई है। सिनेमैटोग्राफी अधिनियम 2023 को केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी, फिल्म उद्योग की सुरक्षा और प्रचार की दिशा में एक बड़ा कदम है । बिल, जिसे हितधारकों के साथ गहन परामर्श के बाद सर्वोत्तम प्रथाओं को शामिल करते हुए तैयार किया गया है, संसद के अगले सत्र में पेश किया जाएगा। यह भारतीय फिल्मों को बढ़ावा देने और स्थानीय सामग्री को वैश्विक बनाने में मदद करने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम साबित होगा।
रचनात्मक उद्योग की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध
पाइरेसी के खिलाफ लड़ाई वैश्विक है, लेकिन हम कानूनों को सरल बनाकर और भारत में व्यापार करने में आसानी में सुधार करके अपने रचनात्मक उद्योग की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमारे प्रयासों के परिणामस्वरूप हमारी रैंकिंग में उल्लेखनीय सुधार हुआ है, जिससे नागरिकों और व्यवसायों को समान रूप से लाभ हुआ है।’ मंत्री ने यह भी कहा था कि कानून का मसौदा तैयार करते समय दुनिया भर में सर्वोत्तम प्रथाओं को ध्यान में रखा गया है।
सिनेमैटोग्राफ अधिनियम, 1954 में संशोधन
अधिकारियों ने कहा कि विधेयक में ‘यू,’ ‘ए,’ और ‘यूए’ की मौजूदा प्रथा के बजाय आयु समूह के आधार पर फिल्मों को वर्गीकृत करने का प्रावधान है। विधेयक सिनेमैटोग्राफ अधिनियम, 1954 में संशोधन करना चाहता है। सरकार ने 2019 में राज्यसभा में एक विधेयक पेश किया था और इसे जांच के लिए स्थायी समिति के पास भेजा गया था। संसद का मानसून सत्र गुरुवार से शुरू हो गया।