चंद्रयान 3 के विक्रम लैंडर से रोवर बाहर निकल रहा है।
लैंडिंग के बाद की पहली तस्वीर
इसरो के चंद्र मिशन चंद्रयान-3 के लैंडर ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने के बाद चंद्रमा की तस्वीरें भेजी हैं। ये तस्वीरें लैंडर विक्रम ने तब लीं जब वह बुधवार शाम को धीरे-धीरे चंद्रमा की सतह पर उतर रहा था। आपको बता दे कि इसमें चंद्रयान-3 की लैंडिंग साइट का एक हिस्सा दिखाया गया है। इस तस्वीर में एक लैग और उसके साथ की परछाई भी नजर आ रही है। चंद्रयान-3 ने चंद्रमा की सतह पर अपेक्षाकृत समतल क्षेत्र चुना है।
चंद्रयान-3 ने इतिहास रचते हुए चांद के साउथ पोल पर सफल लैंडिंग की
भारत के चंद्रयान-3 ने इतिहास रचते हुए चांद के साउथ पोल पर सफल लैंडिंग की है। भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला देश बन गया है। इसके पीछे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) टीम की कड़ी मेहनत है। इस सफलता पर पूरे देश में जश्न का माहौल है। आपको बता दे कि चंद्रयान-3 आज शाम 6:40 बजे चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग कर चुका है। वही , देशभर में चंद्रयान-3 की सफलता पर जश्न का माहौल है। पूरा देश और इसरो की टीम पिछले 4 वर्ष से इस गौरवपूर्ण क्षण का इंतजार कर रही थी। जिन्होंने चांद पर तिरंगा फहराने में अपने जीवन के चार साल लगा दिए। उनके जीवन के हर क्षण में चंद्र मिशन था।
14 दिन हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण – इसरो
इसरो के डायरेक्टर एस. सोमनाथ ने बताया कि आने वाले 14 दिन हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। प्रज्ञान रोवर को बाहर आने में एक दिन का भी समय लग सकता है। बता दे कि प्रज्ञान हमें चांद के वातावरण के बारे में जानकारी देगा। हमारे कई मिशन कतार में हैं। जल्द ही सूर्य पर आदित्य एल-1 भेजा जाएगा। गगनयान पर भी काम जारी है।
चंद्रयान-3 ने चांद पर सकुशल पहुंचने के बाद मैसेज भी भेज दिया है- मैं अपनी मंजिल पर पहुंच गया हूं।
आपको बता दे कि इस सफलता पर साउथ अफ्रीका से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों को बधाई देकर कहा कि चंदा मामा बहुत दूर के कहा जाता था। अब बच्चे कहेंगे कि चंदा मामा बस एक टूर के।
भारत चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला दुनिया का पहला देश बना
इस सफलता के साथ ही भारत चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है। वहीं, भारत चंद्रमा के किसी भी हिस्से पर मिशन उतारने वाला चौथा देश बन गया है। वही , इससे पहले सिर्फ अमेरिका, सोवियत संघ और चीन ही ऐसा कर चुके है।
जानिए ! लैंडिंग के बाद अब क्या होगा?
सबसे पहले डस्ट सेटल होने के बाद विक्रम चालू होगा और कम्युनिकेट करेगा। उसके बाद फिर रैंप खुलेगा और इसके साथ ही प्रज्ञान रोवर रैंप से चांद की सतह पर आएगा। इसके बाद पहिए चांद की मिट्टी पर अशोक स्तंभ और इसरो के लोगो की छाप छोड़ेंगे। साथ ही विक्रम लैंडर प्रज्ञान की फोटो खींचेगा और प्रज्ञान विक्रम की। ये फोटो वे पृथ्वी पर भेजेंगे।
जानिए इसरो को क्या फायदा होगा…
आपको बता दें कि इसरो दुनिया में किफायती कमर्शियल लॉन्चिंग के लिए जाना जाता है। इसरो अब तक 34 देशों के 424 विदेशी उपग्रह छोड़ चुका है। बता दें कि एक साथ 104 सैटेलाइट लॉन्च किए गए हैं, वो भी एक ही रॉकेट से. चंद्रयान-1 ने चंद्रमा पर पानी की खोज की। चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर अभी भी काम कर रहा है। और उन्होंने चंद्रयान-3 के लिए लैंडिंग साइट ढूंढ ली। जैसे कि आप जानते है कि मंगलयान का जलवा पूरी दुनिया ने देखा है। चंद्रयान-3 की सफलता से इसरो का नाम दुनिया की सबसे बड़ी अंतरिक्ष एजेंसियों में शामिल हो जाएगा।