लोकसभा चुनाव 2024 पर भाजपा की कड़ी नज़र, राजनीतिक चुनौतियों के समाधान के लिए पार्टी पदों में बड़ा बदलाव - Punjab Kesari
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लोकसभा चुनाव 2024 पर भाजपा की कड़ी नज़र, राजनीतिक चुनौतियों के समाधान के लिए पार्टी पदों में बड़ा बदलाव

भारतीय जनता पार्टी की नजर 2024 के लोकसभा चुनावों पर है। 2014 से लगातार देश में भाजपा का

भारतीय जनता पार्टी की नजर 2024 के लोकसभा चुनावों पर है। 2014 से लगातार देश में भाजपा का शासन चल रहा है। लेकिन इस बार विपक्ष एकजुट होकर भाजपा को चुनौति दे सकता है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस बात को बाकायदा कह भी दिया है। विपक्ष स्पष्ट तौर पर जानता है कि 2024 के लोकसभा चुनावों में अगर भाजपा को चुनौति देनी है तो उन्हें एकजुट होना होगा। भाजपा संगठनात्मक मुद्दों एवं उभरती राजनीतिक चुनौतियों से निपटने के लिए अपनी कई प्रदेश इकाइयों में अहम पदों पर बदलाव जारी रख सकती है।
भाजपा की केन्द्रीय संसद बोर्ड में बदलाव 
भाजपा की शीर्ष संगठनात्मक संस्था, संसदीय बोर्ड के हालिया बदलाव में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को जगह नहीं मिलने की खबर भले ही अधिक सुर्खियों में रही हो, लेकिन भाजपा ने इसे सामाजिक और क्षेत्रीय रूप से अधिक प्रतिनिधित्व वाला बना दिया है। 
उत्तर प्रदेश इकाई का हो सकता है नया अध्यक्ष नियुक्त 
पहली बार, गैर-उच्च जातियां बोर्ड में बहुमत में हैं, क्योंकि पार्टी समाज के पारंपरिक रूप से कमजोर और पिछड़े वर्गों तक अपनी पहुंच जारी रखे हुए है। इससे पहले, भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने कई राज्यों में बदलाव किए थे और अब वह अपनी उत्तर प्रदेश इकाई का नया अध्यक्ष नियुक्त कर सकते हैं और बिहार में कुछ नए चेहरों को ला सकते हैं, जहां जनता दल (यूनाइटेड) (जद-यू) ने अपनी पारंपरिक सहयोगी भाजपा का साथ छोड़कर राष्ट्रीय जनता दल (राजद)-कांग्रेस-वाम गठबंधन से हाथ मिला लिया।
भाजपा ने किया इन राज्यों में फेरबदल 
पिछले कुछ हफ्तों में भाजपा ने महाराष्ट्र, उत्तराखंड और छत्तीसगढ़ में प्रदेश अध्यक्षों की नियुक्ति की है और उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक और पश्चिम बंगाल सहित कई राज्यों में महत्वपूर्ण पदों पर बैठे लोगों में फेरबदल किया है। सत्तारूढ़ दल ने 2019 में इनमें से अधिकतर राज्यों में जबरदस्त बढ़त हासिल की थी और पश्चिम बंगाल और तेलंगाना में भी लाभ हासिल किया था।
बसवराज बोम्मई के भविष्य को लेकर भी अटकलें 
कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के भविष्य को लेकर भी अटकलें लगाई जा रही हैं। आलोचकों ने राज्य में उनकी नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठाया है, जहां विपक्षी कांग्रेस एक मजबूत ताकत बनी हुई है लेकिन भाजपा ने अब तक किसी भी बदलाव से इनकार किया है।
बी. एस. येदियुरप्पा उम्र के लिहाज से वरिष्ठ हैं, लेकिन शक्तिशाली लिंगायत नेता को संसदीय बोर्ड में शामिल करने का निर्णय इसके एकमात्र दक्षिणी गढ़ में अपनी सामाजिक पहुंच को तेज करने के भाजपा के निरंतर प्रयास को उजागर करता है।
मंत्री स्वतंत्र देव सिंह की जगह किसी नेता की नियुक्तिॉ
उत्तर प्रदेश के संगठन महासचिव सुनील बंसल को राष्ट्रीय भूमिका देना राज्य के मामलों में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रतिष्ठा की स्वीकृति के बावजूद दोनों नेताओं में कई मुद्दों पर मतभेद के बीच बंसल की क्षमताओं में भरोसे को दर्शाता है। सूत्रों ने कहा कि प्रदेश अध्यक्ष के रूप में राज्य सरकार के मंत्री स्वतंत्र देव सिंह की जगह किसी नेता की नियुक्ति में पार्टी की पसंद में क्षेत्रीय और जातिगत समीकरण प्रभावी होंगे।
यूपी में योगी का दबदबा 
पार्टी के एक नेता ने कहा कि उत्तर प्रदेश में भाजपा का दबदबा बना हुआ है और कहा कि उसके राष्ट्रीय नेतृत्व ने चुनावी सफलता के लिए हमेशा पार्टी की संगठनात्मक मशीनरी और राज्यों की सरकारों के बीच मजबूत समन्वय को प्राथमिकता दी है। बंसल को अब तेलंगाना, पश्चिम बंगाल और ओडिशा का प्रभारी बनाया गया है। विभिन्न क्षेत्रीय दलों द्वारा शासित इन तीन राज्यों को भाजपा ने अपने अगले दौर के विस्तार के लिए चिह्नित किया है, वहीं महाराष्ट्र और बिहार में राजनीतिक ताकतों के पुनर्गठन के लिए इन राज्यों में भाजपा को बदलाव की आवश्यकता है।
भाजपा के लिए बिहार में कड़ी चुनौति 
पार्टी के लिए चुनौती बिहार में कड़ी है जहां सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) ने 2014 और 2019 में अपनी 40 लोकसभा सीटों में से क्रमश: 31 और 39 पर जीत हासिल की थी। हालांकि, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जद (यू) और लालू प्रसाद यादव की राजद की संयुक्त ताकत ने पार्टी को नेपथ्य में भेज दिया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और पार्टी अध्यक्ष जे पी नड्डा के साथ प्रदेश भाजपा नेताओं की बैठक में 2024 में 35 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा गया था। भाजपा ने हाल में छत्तीसगढ़ में अपने अध्यक्ष और विधानसभा में विपक्ष के नेता को भी बदल दिया।
चंद्रकांत पाटिल की जगह चंद्रशेखर बावनकुले को चुना
यहां तक ​​कि पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश भी अक्सर उन राज्यों में शुमार है जहां भाजपा से महत्वपूर्ण पदों पर कुछ बदलाव करने की उम्मीद की जाती है। महाराष्ट्र में महा विकास आघाड़ी सरकार को गिराने में सफलता के बाद, भाजपा ने अपने अध्यक्ष मराठा समुदाय के चंद्रकांत पाटिल की जगह अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के चंद्रशेखर बावनकुले को चुना। भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा ने पिछले महीने कुछ प्रदेश इकाइयों में प्रमुख संगठनात्मक नियुक्तियां की थीं, जिसमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के राजेश जीवी को कर्नाटक में महासचिव (संगठन) के रूप में भेजा गया था। राजेश जीवी ने अरुण कुमार की जगह ली है, जो भाजपा के वैचारिक मातृ संगठन माने जाने वाले आरएसएस में लौट आए हैं।
गौरतलब है कि अजय जामवाल, जो पूर्वोत्तर राज्यों के प्रभारी क्षेत्रीय महासचिव (संगठन) थे, अब पार्टी की मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ इकाइयों का प्रभार देख रहे हैं, जबकि मंत्री श्रीनिवासुलु को तेलंगाना से पंजाब में महासचिव के रूप में स्थानांतरित किया गया था।

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