भारत में दुनिया के सबसे लम्बे रेलवे ट्रैक्स मौजूद है। लेकिन इन्हीं रेलवे ट्रैक्स पर कई हादसें हुए हैं, जो किसी डरावने सपने से कम नहीं होते हैं। हाल ही में जुलाई के महीने में महारष्ट्र में स्तिथ बालासोर रेलवे स्टेशन के पास एक ऐसा हादसा हुआ था जिसके सुनने के बाद हर कोई ट्रैन में जाने से भी डर रहा था। जुलाई के महीने में एक साथ तीन ट्रेनों की एक साथ टक्कर ने सैंकड़ों मासूमों की जान ले ली थी। अब आप सोच रहे होंगे की आज हम पिछले दिनों की बात क्यों कर रहे हैं? तो आपको बता दें की बालासोर का हादसा भी गलत सिग्नल मिलने की वजह से ही हुआ था। और आज जो हम आपको बताने वाले हैं उसमें भी हम ट्रैन ट्रैक के सेंसर मशीनों के फॉल्ट के बारे में ही बात करने जा रहे हैं।
मशीनों में दिखी खराबियां
दरअसल ट्रेनों की आवाजाही पर नज़र रखने वाली सेंसर मशीनों में कुछ तकनीकी खराबियां दिखने को मिल रही है। जी हाँ अनुसंधान डिजाइन और मानक संगठन के अनुमति के बाद ही इन मशीनों को चालु किया गया था। लेकिन जब बाद में अधिकारियों ने इसकी जांच की तो इसमें कई खामियां देखने को मिली। फिर अधिकारियों ने कहा की अगर इन्हें जल्द ही वापस नहीं लिया गया तो ये बालासोर जैसी घटनाओं को न्योता दे सकता है। अधिकारियों ने कहा है की रेलवे द्वारा खरीदी गयी 5 लाख रूपए की प्रति यूनिट 4000 भाषणों में खामिया है।
अधिकारियों ने दी चेतावनी
रिपोर्ट के अनुसार जिन मशीनों को ट्रैन की आवाजाही पर नज़र रखने के लिए लगाया गया था, वो गलत सिग्नल दे रही है। सेंसर कभी-कभी मूवमेंट का पता लगा पाटा है और कभी-कभी नहीं। उन्होंने कहा की ये सिस्टम इतना खराब है की अगर वो किसी धातु के संपर्क में भी आता है तो सिग्नल भेज देता है। फिर चाहे वो ट्रैन के पहिये न हो तब भी। रिपोर्ट में ये भी बताया गया की जब उसपर से ट्राली के दो पहियें गुजरते हैं तो वो एक का ही पता लगा पाटा है। जहां आरडीएसओ की पूर्वी इकाई के इंजीनियरों ने भी संगठन को ये पत्र लिखा की कर्मचारियों द्वारा इन मशीनों को बिना रिसेट किये ही ये रिसेट हो जाता है।