नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को महाराष्ट्र सरकार को कोरेगांव-भीमा हिंसा मामले में गिरफ्तार मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के खिलाफ पुणे की एक अदालत में दाखिल आरोपपत्र को उसके सामने पेश करने का निर्देश दिया। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि वह आरोपियों के खिलाफ आरोपों को देखना चाहती है।
पीठ ने महाराष्ट्र सरकार की ओर से पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी से पुणे की विशेष अदालत में राज्य पुलिस द्वारा दाखिल आरोपपत्र को आठ दिसंबर तक उसके समक्ष जमा करने को कहा। पीठ में न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति के एम जोसफ भी हैं। पीठ बंबई उच्च न्यायालय के एक आदेश के खिलाफ राज्य सरकार की अपील पर सुनवाई कर रही थी। उच्च न्यायालय ने मामले में जांच रिपोर्ट दाखिल करने के लिए 90 दिन की समय सीमा बढ़ाने से इनकार कर दिया था।
पीठ ने अब अगली सुनवाई के लिए 11 दिसंबर की तारीख तय की है। इससे पहले शीर्ष अदालत ने बंबई उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी थी। पुणे पुलिस ने माओवादियों के साथ कथित संपर्कों को लेकर वकील सुरेंद्र गाडलिंग, नागपुर विश्वविद्यालय की प्रोफेसर शोमा सेन, दलित कार्यकर्ता सुधीर धवले, कार्यकर्ता महेश राउत और केरल निवासी रोना विल्सन को जून में गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया था।
भीमा-कोरेगांव : महाराष्ट्र पुलिस ने नक्सल समर्थक वरवर राव को किया गिरफ्तार
भीमा-कोरेगांव मामले में महाराष्ट्र पुलिस ने नक्सल समर्थक वरवर राव को गिरफ्तार कर लिया है। शुक्रवार को हैदराबाद हाईकोर्ट ने वरवर राव की याचिका को खारिज कर दिया था, जिसके बाद गिरफ्तारी हुई है। राव अब तक हैदराबाद के अपने घर में नजरबंद थे। पुणे पुलिस के संयुक्त आयुक्त शिवाजी बोडखे ने कहा कि हैदराबाद हाईकोर्ट द्वारा उनकी नज़रबंदी की बढ़ाई गयी सीमा 15 नवंबर को समाप्त हो गई। महाराष्ट्र पुलिस वरवर राव को गिरफ्तार करने के बाद पुणे लेकर जा रही है।
वरवर राव उन 5 लोगों में शामिल हैं, जिन पर नक्सलियों के साथ संबंध रखने और भीमा कोरेगांव हिंसा में शामिल होने के आरोप हैं। इससे पहले अगस्त में भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में पुणे पुलिस की अगुवाई में देशभर में छापेमारी हुई थी। इस दौरान वरवर राव समेत कई नक्सल समर्थकों को गिरफ्तार किया गया था।
हालांकि बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी और इनको नजरबंद रखने का निर्देश दिया था। इससे पहले इस साल के शुरुआत में पुणे पुलिस ने नक्सल नेता की ओर से लिखे गए एक कथित पत्र को जब्त किया था, जिसमें देश में विभिन्न नक्सल गतिविधियों के लिए प्रतिष्ठित तेलुगू कवि वरवर राव के कथित ‘मार्गदर्शन’ के लिए उनकी तारीफ की गई थी।