संसद सत्र से पहले कांग्रेस ने शुरू की केंद्र सरकार को घेरने की तैयारी, विपक्ष को एकजुट करना सबसे बड़ी चुनौती - Punjab Kesari
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संसद सत्र से पहले कांग्रेस ने शुरू की केंद्र सरकार को घेरने की तैयारी, विपक्ष को एकजुट करना सबसे बड़ी चुनौती

देश में लोकतंत्र का मंदिर कहे जाने वाले संसद का शीतकालीन सत्र इस महीने से शुरू होने की

देश में लोकतंत्र का मंदिर कहे जाने वाले संसद का शीतकालीन सत्र इस महीने से शुरू होने की संभावना है। ऐसे में देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस संसद के शीतकालीन सत्र से पहले समान विचारधारा वाले दलों को साधने में जुट गई है। पार्टी का पूरा जोर तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) को साथ लाने पर है।
गौरतलब है कि संसद का शीतकालीन सत्र 29 नवंबर से शुरू हो सकता है, मानसून सत्र के इस बार भी हंगामेदार रहने के आसार लगाए जा रहे हैं। पिछला पूरा सत्र पेगासस मुद्दे पर विपक्षी एकता की वजह से हंगामेदार साबित हुआ था। हालांकि इस बीच कांग्रेस समान विचारधारा वाले दलों को साधने में जुट गई है, केंद्र सरकार को सदन में घेरने की रणनीति में, कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी चुनौती सभी विपक्षी दलों को एकजुट करने की है।
टीएमसी से इस बार ये उम्मीद कम ही दिखाई दे रही है
लेकिन जिस तरह से पिछले सत्र में कांग्रेस को अन्य दलों से सहयोग मिला था खासतौर पर टीएमसी से इस बार ये उम्मीद कम ही दिखाई दे रही है। इस बार कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी मुश्किल टीएमसी को साधना है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा में नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के अनुसार उनकी इस बार भी पूरी कोशिश होगी कि सभी विपक्षी एकजुट रहें और जनहित के मुद्दे मिलकर उठायें।
16 ज्वलंत मुद्दों पर सदन में चर्चा करने और सरकार से जवाब की मांग की जाएगी
शीतकालीन सत्र को लेकर उन्होंने कहा कि सदन में उठाये जाने वाले मुद्दों को लेकर उनकी कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से बातचीत हुई थी। कांग्रेस पार्टी की ओर से महंगाई, बेरोजगारी, पेंटागन रिपोर्ट सहित करीब 16 ज्वलंत मुद्दों पर सदन में चर्चा करने और केंद्र सरकार से जवाब की मांग की जाएगी। 
वहीं टीएमसी के मसले पर खड़गे ने कहा, हमारे विचार भले ही अलग हो सकते हैं चुनाव लड़ने के मुद्दे भी अलग हो सकते हैं लेकिन जब जनहित की बात आए तो हम सभी को साथ मिलकर लड़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि सत्र शुरू होने में अभी कुछ समय बाकी है दोनों दल मिलकर विचार करेंगे। किस मुद्दे पर सहमति बन सकती है। मुख्य विपक्षी दल होने के नाते समान विचारधारा वाली पार्टियों को हम सदन में साथ लाना चाहते हैं।

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