कुलभूषण जाधव मामले में बीबीसी अपने रुख पर कायम - Punjab Kesari
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कुलभूषण जाधव मामले में बीबीसी अपने रुख पर कायम

कुलभूषण जाधव को मौत की सजा मिलने के बाद भारत ने अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में अपील की और इस

ब्रिटिश पब्लिक ब्रॉडकास्टर (बीबीसी) ने एक साक्षात्कार में पाकिस्तान में मौत की सजा पाए भारतीय कुलभूषण जाधव से संबधित उत्तर को संपादित किए जाने के कदम का पक्ष लेते हुए इसे ‘‘सेंसरशिप’’ का मामला मानने से इंकार किया है। बीबीसी ने पाकिस्तान के वित्त मंत्री असद उमर का एक इंटरव्यू किया था और इस दौरान उनसे जाधव के बारे में एक सवाल पूछा गया था। उनसे देश की अर्थव्यवस्था और चीन के साथ संबंधों जैसे मसलों पर सवाल किए गए थे।

जब यह साक्षात्कार टीवी पर प्रसारित हुआ तो इसमें जाधव के प्रश्न और उस पर आए उत्तर को संपादित कर दिया था। बीबीसी के लिए यह इंटरव्यू स्टीफन सुकर ने अपने कार्यक्रम ‘‘हार्ड टॉक’’ के लिए किया था। कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने जासूसी के आरोप में मौत की सजा सुनाई है।

मानवाधिकार मंत्री शिरीन मजारी ने बीबीसी के इस कदम की आलोचना करते हुए इसे ब्राडकास्टर के ‘‘प्रचलित पूर्वाग्रह’’ की संज्ञा दी थी। उन्होंने कहा, ‘‘शर्मनाक है कि किस तरह बीबीसी ने इसे सेंसर कर दिया और भारतीय जासूस के बारे में असद के दिए बयान को संपादित कर दिया।’’ बीबीसी ने अपना पक्ष रखते हुए कहा है कि साक्षात्कार के टीवी संस्करण में भले ही इसे संपादित किया गया लेकिन रेडियो संस्करण में ऐसा नहीं किया गया।

टीवी संस्करण के लिए समय कम था और इसे देखते हुये काटने का निर्णय किया गया। यह सेंसरशिप की बात नहीं है। शिरीन ने बीबीसी के इस स्पष्टीकरण पर प्रतिक्रिया देते हुये कहा है कि बीबीसी हमेशा से पूर्वाग्रहों से ग्रसित रही है और वह भारत से खासा राजस्व हासिल करती है। पाकिस्तान का आरोप है कि कुलभूषण जाधव को बलूचिस्तान प्रांत मार्च 2016 में उस समय गिरफ्तार किया गया था जब वह ईरान की सीमा में कथित तौर पर प्रवेश की कोशिश कर रहा था। भारत इन आरोपों को खारिज कर चुका है।

भारत का कहना है कि कुलभूषण जाधव को ईरान से अपहृत करके ले जाया गया। नौसेना से सेवानिवृत्त होने के बाद वह ईरान में अपना व्यवसाय कर रहा था और उसका सरकार से कोई संबंध नहीं है। कुलभूषण जाधव को मौत की सजा मिलने के बाद भारत ने अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में अपील की और इस न्यायालय ने सजा के अमल पर रोक लगा दी। यह मामला इस अदालत में अभी लंबित है। नीदरलैंड के हेग में इस मामले की अगली सुनवाई 18 से 21 फरवरी को होगी।

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