समझौते की चौखट पर असम - मेघालय सीमा विवाद - रिपोर्ट - Punjab Kesari
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समझौते की चौखट पर असम – मेघालय सीमा विवाद – रिपोर्ट

असम मेघालय में चल रहे अंतरराज्जीय सीमा विवाद अब जल्द ही सुलझ सकता हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार

असम मेघालय में चल रहे अंतरराज्जीय सीमा विवाद अब जल्द ही सुलझ सकता हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार बताया जा रहा हैं कि असम ने संकेत दिया है कि वह मेघालय के साथ लगती विवादित सीमा के आधे हिस्से पर दावा स्वीकार कर सकता है। इस मुद्दे पर गौर करने के लिए गठित दोनों राज्यों की संयुक्त समितियों द्वारा तैयार की गई एक रिपोर्ट से यह बात पता चलती है।
एक वर्ष के अंतराल में समिति ने सिफारिशों कर समय सीमा तय की 
समितियों ने एक वर्ष के भीतर राज्य की सीमाओं को फिर से खींचने के लिए संवैधानिक संशोधन के लिए विधायी अनुमोदन प्राप्त करने सहित सिफारिशों को लागू करने के लिए एक समयसीमा भी निर्धारित की है।छह विवादित सीमा खंडों को देखने के लिए दोनों राज्यों द्वारा गठित तीन क्षेत्रीय समितियों की अंतिम सिफारिशों के अनुसार, पहले चरण में निपटान के लिए रखे गए 36.79 वर्ग किलोमीटर के विवादित क्षेत्र में से असम को 18.51 वर्ग किमी मिलेगा, जबकि मेघालय को 18.28 वर्ग किमी मिलेगा।
कॉनरोड़ संगमा व हिंमत बिस्वा सरमा के बीच  दो दौर हो चुकी हैं बातचीत 
समितियों के निष्कर्षों और सिफारिशों को असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने मंगलवार को राज्य के राजनीतिक दलों के साथ एक प्रस्तुति के माध्यम से साझा किया, जिसकी एक प्रति पीटीआई के पास उपलब्ध है।चरणबद्ध तरीके से जटिल सीमा विवाद को हल करने के लिए सरमा और उनके मेघालय के समकक्ष कोनराड संगमा के बीच दो दौर की बातचीत के बाद अगस्त 2021 में दोनों राज्य सरकारों द्वारा तीन-तीन समितियों का गठन किया गया था।
पहले चरण के 6 बिंदुओं का  समाधान 
दोनों राज्यों के बीच विवादों के 12 चिह्नित बिंदुओं में से छह बिंदुओं को पहले चरण में समाधान के लिए लिया गया था।रिपोर्ट के अनुसार, पहले चरण में लिए गए विवादित क्षेत्रों में से 7.17 वर्ग किमी मेघालय के प्रतिकूल कब्जे में है, जबकि शेष 29.62 वर्ग किमी दोहरे मताधिकार या प्रशासनिक नियंत्रण में है।क्षेत्रीय समितियों ने विवाद को निपटाने के लिए समयसीमा भी निर्धारित की है।
इसने एक महीने के भीतर सीमाओं को निर्दिष्ट करने वाला अध्यादेश जारी करने के साथ-साथ गृह मंत्रालय सहित प्रमुख हितधारकों को उसी अवधि में अंतिम सिफारिशों के बारे में संवेदनशील बनाने की सिफारिश की है।
आपको बता दे कि आजादी के बाद से ही राज्यों की सीमा निर्धारित बड़ा मुद्दा बनाा रहा हैं।  पिछले वर्ष तो दोनों राज्यों की सीमा विवाद को लेकर राज्य पुलिस में झंड़प हो गयी थी।  जिनमें असम को चार पुलिस कर्मियों ने अपनी जान खो दी थी। 
 

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