कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने आज मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला को दिया, इसे लोकसभा स्पीकर ने मंजूर कर लिया, विपक्ष लगातार मणिपुर मुद्दे को लेकर मांग कर रहा है कि पीएम मोदी खुद संसद में मणिपुर हिंसा को लेकर बयान दें।
विपक्ष के हंगामे के चलते कार्यवाही बाधित
नियमानुसार माना जा रहा है कि अगले हफ्ते संसद में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा की जा सकती है, मानसून सत्र की शुरुआत होने के साथ ही संसद के दोनों सदनों में विपक्ष के हंगामे के चलते कार्यवाही बाधित रही है। अगर अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस सुबह 10 बजे दिया जाता है तो उस पर नियम के मुताबिक स्पीकर उसी दिन फैसला लेते हैं।
जानिए अविश्वास प्रस्ताव से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें
1 अविश्वास प्रस्ताव को नोटिस मिलने के बाद लोकसभा अध्यक्ष के पास आएगा, नियम के मुताबिक इस नोटिस को कम से कम 50 सांसदों का समर्थन प्राप्त है या नहीं और फिर वह इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए समय और तारीख की घोषणा करेंगे।
2 कोई भी लोकसभा सांसद अविश्वास प्रस्ताव ला सकता है चाहे उस सांसद के पास 50 से अधिक लोकसभा सदस्यों के हस्ताक्षर हों।
3 लोकसभा स्पीकर को जब भी कोई सदस्य तय नियम के तहत नोटिस देता है तो उनके अविश्वास प्रस्ताव स्वीकार करने के 10 दिनों के भीतर ही सरकार को सदन में अपना बहुमत साबित करना पड़ता है, यदि सरकार अपना बहुमत नहीं साबित कर पाती है तो प्रधानमंत्री के साथ पूरे कैबिनेट को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ता है।
4 मोदी सरकार के 9 सालों के दौरान में ऐसा पहली बार नहीं है कि विपक्ष मोदी सरकार के खिलाफ यह अविश्वास प्रस्ताव लाया है, इससे पहले भी विपक्ष 2018 में ऐसा कर चुका है, मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में पहली बार विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव लाया था।
5 केंद्र सरकार के पास संसद के दोनों ही सदनों में बहुमत है और इसलिए अविश्वास प्रस्ताव को विपक्षी गुट की पहली मजबूत प्रतिक्रिया के रूप में देखा जा रहा है, विपक्ष पीएम मोदी से मणिपुर पर संसद में टिप्पणी की मांग कर रहा है।