केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को लोकसभा में कहा कि, भारतीय दंड संहिता (IPC) पर नया विधेयक देशद्रोह के अपराध को पूरी तरह से निरस्त कर देगा। शाह ने आईपीसी, दंड प्रक्रिया संहिता (CRPC) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को बदलने के लिए लोकसभा में तीन विधेयक पेश किए। निचले सदन में तीनों बिलों पर बोलते हुए अमित शाह ने कहा, ”इस कानून के तहत हम राजद्रोह जैसे कानून को खत्म कर रहे हैं।”
देश में आपराधिक न्याय प्रणाली में आएगा बड़ा बदलाव
शाह ने कहा, “1860 से 2023 तक देश की आपराधिक न्याय प्रणाली अंग्रेजों द्वारा बनाए गए कानूनों के अनुसार काम करती थी। इन तीन कानूनों के साथ देश में आपराधिक न्याय प्रणाली में एक बड़ा बदलाव आएगा।” “इस बिल के तहत हमने लक्ष्य रखा है कि सजा का अनुपात 90 प्रतिशत से ऊपर ले जाना है। इसीलिए हम एक महत्वपूर्ण प्रावधान लेकर आए हैं कि जो धाराएं 7 साल या उससे ज्यादा जेल की सजा का प्रावधान करती हैं। उन सभी के तहत अमित शाह ने कहा, ”फॉरेंसिक टीम का अपराध स्थल पर जाना अनिवार्य किया जाएगा।”
अपराधों को अलग-अलग अपराध के रूप में किया गया परिभाषित
प्रमुख विधेयकों में मॉब लिंचिंग के खिलाफ एक नया दंड संहिता, नाबालिगों के बलात्कार के लिए मौत का प्रावधान और सिविल सेवकों पर मुकदमा चलाने के लिए समयबद्ध मंजूरी शामिल है। अलगाववाद और देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने जैसे अपराधों को अलग-अलग अपराध के रूप में परिभाषित किया गया है। दाऊद इब्राहिम जैसे फरार अपराधियों पर उसकी अनुपस्थिति में मुकदमा चलाने का प्रावधान लाया गया है। राजद्रोह का अपराध भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 124ए के तहत कवर किया गया था।