पर्सनल लॉ के तहत मुस्लिमों को मिली छूट के बाद, देश में UCC के आने से क्या होगा असर - Punjab Kesari
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पर्सनल लॉ के तहत मुस्लिमों को मिली छूट के बाद, देश में UCC के आने से क्या होगा असर

देश में लोकसभा चुनाव से पहले समान नागरिक संहिता यानी UCC को लेकर हंगामा काफी तेज हो गया

देश में लोकसभा चुनाव से पहले समान नागरिक संहिता यानी UCC को लेकर हंगामा  काफी तेज हो गया है। देश की कई पार्टियां इसके समर्थन में हैं तो कुछ पार्टी इसका विरोध भी कर रही है। और इन सब के बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के द्वारा दिया गया बयान चर्चा का विषय बन गया है। जहां PM मोदी ने भोपाल में बीजेपी के बूथ कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि एक घर में दो नियम हो तो क्या घर चल पाएगा? ऐसे में दोहरी व्यवस्था से देश कैसे चलेगा? 
विपक्षी दल कर रहे हैं UCC का विरोध 
Uniform Civil Code UCC Was Discussed In The Constituent Assembly Muslim  Members Raised Questions Bhimrao Ambedkar Stand | UCC पर संविधान सभा में  हुई थी लंबी चर्चा, सदस्यों ने उठाए थे सवाल-
प्रधानमंत्री मोदी के बयान के बाद सिसासी घमासान शुरू हो गया है। विपक्षी दलों ने इसे आम मुद्दों से ध्यान भटकाना बताया तो वहीं मुसलमानों की सबसे बड़ी संस्था ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने बैठक बुलाई, जिसमें इस मसले पर चर्चा की गई। बैठक में यूसीसी को लेकर एक ड्राफ्ट बनाने का फैसला लिया गया है, जिसे विधि आयोग को सौंपा जाएगा। ड्राफ्ट में शरीयत के जरूरी हिस्सों का जिक्र होगा। आइए समझते हैं, पर्सनल लॉ के तहत मुसलमानों को क्या छूट मिली है। यूसीसी के आने से क्या असर होगा, जिन्हें लेकर मुसलमान पशोपेश में हैं।
भारतीय मुसलमानों में एक से अधिक शादी का चलन 
भारत के मुसलमानों में बहुविवाह को लेकर एक बार फिर से बहस छिड़ी - BBC News  हिंदी
भारत में मुसलमान पुरुषों को चार शादी की इजाजत है। एक धारणा है कि मुस्लिम पुरुष ज्यादा शादियां करते हैं, लेकिन भारतीय मुसलमानों में एक से अधिक शादी का चलन हिंदुओं या दूसरे धर्मों की तरह ही है। हालांकि, 1961 के बाद से जनसंख्या के दौरान बहुविवाह के आंकड़े जारी नहीं किए गए हैं। इस बारे में नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (एनएफएचएस) का ही डेटा अब मौजूद है। 2019-21 के दौरान एनएफएचएस-5 का डेटा कहता है 1.9 प्रतिशत मुस्लिम महिलाओं ने माना है कि उनकी पति की दूसरी पत्नियां हैं। 1.3 प्रतिशत हिंदू और अन्य धर्मों की 1.6 प्रतिशत महिलाओं ने पत्नि की दूसरी पत्नी की बात स्वीकार की है। इससे पता चलता है कि मुसलमान भी अब चार शादी के पक्षधर नहीं है, लेकिन वो शरीयत में किसी तरह की छेड़छाड़ नहीं चाहते, इसलिए वे यूसीसी के खिलाफ हैं।
शरिया कानून मुसलमानों को मिली है कई तरह की छूट 
Unifrom Civil Code: पर्सनल लॉ के तहत मुस्लिमों को मिली हैं क्या छूट
तलाक- मुसलमानों में तलाक को लेकर अपना शरिया कानून है। शरीयत में इस बारे में विस्तार से है, जिसके तहत मुसलमानों को पर्सनल लॉ में छूट मिली है। शरिया तलाक का कानून, भारत में मौजूद दूसरे धर्मों के कानून या स्पेशल मैरिज एक्ट से अलग है। विरासत- मुस्लिम महिलाओं को विरासत में हिस्से का अधिकार इस्लाम के आगमन के साथ ही है, लेकिन उनके बंटवारे का हिसाब-किताब अलग है। मौजूदा दौर में हिंदुओं का विरासत कानून अलग है। हिंदुओं में बेटा और बेटी को संपत्ति में बराबर का अधिकार दिया गया है। मुसलमानों को इस मामले में हस्तक्षेप का डर बना हुआ है।
इस्लाम में गोद लेने की इजाजत नहीं 
सुप्रीम कोर्ट: मुसलमान भी ले सकेंगे बच्चा गोद - BBC News हिंदी
गोद- इस्लाम में गोद लेने की इजाजत नहीं है। भारत में गोद लेने का अधिकार है, लेकिन पर्सनल लॉ के कारण मुसलमानों को इस कानून से बाहर रखा गया है। इस वजह से कोई बेऔलाद शख्स किसी बच्चे या बच्ची को गोद नहीं ले सकता है। शादी की उम्र- भारत में लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र 18 साल रखी गई है, जबकि पर्सनल लॉ में मुस्लिम लड़की के लिए 15 साल के बाद शादी की अनुमति दी गई है। यहां एक समस्या है, भारत में बाल विवाह निषेध अधिनियम भी है, जो नाबालिग लड़कियों की शादी किए जाने को अपराध बताता है। इसी साल मार्च में सुप्रीम कोर्ट के सामने ऐसा ही मामला उठ चुका है, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने विचार करने को कहा था।

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