कांग्रेस ने शनिवार को ‘आदित्य एल1’ मिशन को देश के लिए शानदार उपलब्धि करार दिया और इसकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि का जिक्र करते हुए कहा कि परियोजना को साल 2009 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की मंजूरी मिली थी।सूर्य मिशन से संबंधित उपग्रह ‘आदित्य एल1’ को शनिवार पूर्वाह्न 11.50 बजे श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र के दूसरे लॉन्च पैड से प्रक्षेपित किया किया गया। इस उपग्रह को सूर्य परिमंडल के दूरस्थ अवलोकन और पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर ‘एल1’ (सूर्य-पृथ्वी लैग्रेंजियन बिंदु) पर सौर हवा का वास्तविक अवलोकन करने के लिए डिजाइन किया गया है।
मल्लिकार्जुन खरगे ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया
आपको बता दें कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘तमसो मा ज्योतिर्गमय – मुझे अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलो। हम अपने वैज्ञानिकों, अंतरिक्ष इंजीनियरों, शोधकर्ताओं और अपने कड़ी मेहनत करने वाले कर्मियों के ऋणी और आभारी हैं। हम सब मिलकर उनकी सफलता का जश्न मनाते हैं और कृतज्ञता के साथ उनका सम्मान करते हैं।’’उन्होंने कहा, ‘‘भारत ने सूर्य की यात्रा 2006 में शुरू की, जब हमारे वैज्ञानिकों ने सूर्य के लिए एक ही उपकरण के साथ एक सौर वेधशाला का प्रस्ताव रखा। जुलाई 2013 में इसरो ने आदित्य-1 मिशन के लिए सात पेलोड का चयन किया, जिसे अब आदित्य-एल1 मिशन का नाम दिया गया है। नवंबर 2015 में इसरो ने औपचारिक रूप से आदित्य-एल1 को मंजूरी दे दी।’’
साहस और प्रतिबद्धता का एक ज्वलंत उदाहरण
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘‘चंद्रयान मिशन की शानदार सफलताओं के बाद, सूर्य का अध्ययन करने के लिए उपग्रह स्थापित करने की दिशा में हमारा रास्ता थोड़ा और सुरक्षित हो गया।’’उन्होंने कहा, ‘‘राष्ट्र विज्ञान, प्रौद्योगिकी और अनुसंधान की क्षमता का निर्माण केवल कुछ वर्षों में नहीं, बल्कि पूरे दशकों में करते हैं, और अंतरिक्ष अनुसंधान और अन्वेषण में भारत की सफलता उस अदम्य साहस और प्रतिबद्धता का एक ज्वलंत उदाहरण है। तमाम बाधाओं के बावजूद हमने जीत हासिल की है।’’खरगे ने कहा, ‘‘इस ऐतिहासिक उपलब्धि के लिए हमारे दिग्गज वैज्ञानिकों और अनगिनत शोधकर्ताओं की दूरदर्शिता, सरलता और जोरदार समर्पण को हमारा नमन। हमें उम्मीद है कि यह हमारी युवा पीढ़ी को प्रेरित करती रहेंगी और हमारे लोगों में गहरी वैज्ञानिक सोच पैदा करेंगी।’’
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने ‘एक्स’ पर पोस्ट कर कहा, ‘‘भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने आज एक बार फिर से इतिहास रचा है। चंद्रयान-3 की ऐतिहासिक सफलता के बाद अब सूर्य मिशन आदित्य एल 1 का सफल प्रक्षेपण करके इसरो ने अंतरिक्ष में भारत की ताकत को स्थापित किया है। इसरो की पूरी टीम और सभी देशवासियों को शुभकामनाएं। जयहिंद।’’
जयराम रमेश ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, आज आदित्य एल 1 का प्रक्षेपण इसरो और भारत के लिए एक और शानदार उपलब्धि है। इसरो को एक बार फिर सलाम करते हुए, इसकी निरंतरता को समझने के लिए आदित्य एल1 की हाल की टाइमलाइन को याद करना सही होगा।उन्होंने कहा, 2006 में ‘एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया’ और ‘इंडियन एकेडमी ऑफ साइंसेज’ के वैज्ञानिकों ने एक उपकरण के साथ सौर वेधशाला की अवधारणा का प्रस्ताव रखा। मार्च 2008 में वैज्ञानिकों ने इसरो के साथ इस प्रस्ताव को साझा किया।
नवंबर 2015 में इसरो ने औपचारिक रूप से आदित्य-एल 1 को मंजूरी दी
रमेश के अनुसार, Òदिसंबर 2009 में इसरो ने एक उपकरण के साथ आदित्य-1 परियोजना को मंजूरी दी। अप्रैल 2013 में पूर्व अध्यक्ष यूआर राव के हस्तक्षेप के बाद इसरो ने एक अवसर के बारे में घोषणा की, जिसमें वैज्ञानिक समुदाय से अधिक वैज्ञानिक उपकरणों (पेलोड) के प्रस्तावों की मांग की गई थी।उन्होंने कहा, जून 2013 इसरो ने प्राप्त वैज्ञानिक प्रस्तावों की समीक्षा की। जुलाई 2013 में इसरो ने आदित्य-1 मिशन के लिए सात पेलोड का चयन किया। इस मिशन का अब नाम बदलकर आदित्य एल1 मिशन कर दिया गया है। नवंबर 2015 में इसरो ने औपचारिक रूप से आदित्य-एल 1 को मंजूरी दी।