हाल ही में मानसून सत्र खत्म हुआ है जिसमें कई विधेयकों के साथ-साथ विपक्ष द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर भी चर्चा हुई । जिसके दौरान कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ दिए गए टिप्पणियों और उनके असंसदीय व्यवहार को लेकर 10 अगस्त के दिन उनको कार्यवाही से निलंबित कर दिया गया था। अधीर रंजन चौधरी को निलंबित करने के बाद संसद की विशेषाधिकार समिति उनके निलंबन की जांच भी कर रही है । इसे लेकर कल यानि 18 अगस्त के दिन बैठक भी हुई थी। जिसमें निष्कर्ष यह निकला की विशेष अधिकार समिति ने कांग्रेस के नेता को अपने पक्ष रखने का एक मौका दिया है। जहां समिति की अगली बैठक 30 अगस्त के दिन होगी और अधीर रंजन चौधरी समिति के सामने पेश होने वाले हैं। इसको लेकर कांग्रेस के नेता अधीर ने कहा है कि मुझे इस समिति के नियमों के बारे में कुछ नहीं कहना मुझे इसके एजेंडा के बारे में भी नहीं पता। उन्होंने कहा है कि मुझे उम्मीद है कि कार्यवाही वैसे ही नियमों के अनुसार होगी। अभिरंजन चौधरी ने आगे कहा कि उनका निलंबन लोकसभा के नियमों के अनुसार नहीं हुआ है यह सही नहीं है।
क्या था पूरा मामला?
मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो 30 अगस्त के दिन भाजपा के सदस्य सुनील कुमार सिंह की अध्यक्षता वाली समिति भी इस बैठक में अधीर रंजन चौधरी के पक्ष को औपचारिक रूप से सुनने के लिए मौजूद रहेगी साथ ही लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से निलंबन रद्द करने के सिफारिश करने के पक्ष में भी दिखने वाले हैं। 30 अगस्त के दिन विशेषाधिकार समिति की अगली बैठक होने वाली है जहां कांग्रेस नेता को अपना पक्ष रखने के लिए एक मौका दिया जाएगा। बता दे की मानसून सत्र के दौरान अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा करते हुए अधीर रंजन चौधरी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा था कि मणिपुर और हस्तिनापुर में कोई भी फर्क नहीं है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तुलना नीरव मोदी से की थी। चौधरी ने कहा था कि पीएम मोदी नीरव मोदी बनकर चुप्पी साधे हुए हैं। इसके बाद संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी ने अधीर रंजन चौधरी के टिप्पणी को लेकर उनके निलंबन का प्रस्ताव पेश किया था । जिसको लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने स्वीकार कर लिया।
सफाई देते हुए नीरव का मतलब समझाया -अधीर रंजन चौधरी
जब सत्ता पक्ष ने अधीर रंजन चौधरी के टिप्पणियों का विरोध किया तब उन्होंने सफाई देते हुए कहा था कि नीरज का मतलब शांत होता है उनका मकसद प्रधानमंत्री का अपमान करना नहीं था। और अब उनके इस बयानों को लेकर जांच किया जा रहा है विशेषाधिकार ने उनको एक मौका दिया है।