56वां राष्ट्रीय प्रेस दिवस आज, जानिए कब हुई इसकी शुरुआत - Punjab Kesari
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56वां राष्ट्रीय प्रेस दिवस आज, जानिए कब हुई इसकी शुरुआत

भारतीय प्रेस परिषद को सम्मानित करने के लिए हर साल 16 नवंबर को राष्ट्रीय प्रेस दिवस मनाया जाता

इस दुनिया का कोई भी देश अपनी सीमाओं के भीतर और बाहर क्या हो रहा है, यह जाने बिना जीवित नहीं रह सकता। यानी आपको दुनियाभर में घटने वाली, अपने आसपास व देश में घटने वाली जानकारियों का पता होना चाहिए, आज भारत 56वां प्रेस दिवस मना रहा है भारत की आजादी में विभिन्न पत्रकारों नें अपना पूर्ण योगदान दिया, समय के साथ इसमें बदलाव भी आया जहां पत्रकारिता करने के तौर तरीके भी बदले, लेकिन हमारे संविधान का चौथा स्तंभ देश की तरक्की में अपना पूर्ण योगदान निभाया है। जहां भारतीय प्रेस परिषद की स्थापना के आज 56 वर्ष हो चुके हैं.आपको बता दें कि भारतीय प्रेस परिषद को सम्मानित करने के लिए हर साल 16 नवंबर को राष्ट्रीय प्रेस दिवस मनाया जाता है। यह दिन देश में एक स्वतंत्र और जिम्मेदार प्रेस की उपस्थिति का प्रतीक है। प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया भी भारतीय प्रेस की गुणवत्ता की जांच करती है और पत्रकारिता की सारी गतिविधियों पर नजर रखती है। इस बार 16 नवंबर 2022 को भारत में 56वां राष्ट्रीय प्रेस दिवस मनाया जा रहा है। राष्ट्रीय प्रेस दिवस पहली बार 1966 में मनाया गया था, जब प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया की स्थापना हुई थी। और देश में इसका संचालन शुरू हो गया था। वहीं भारतीय प्रेस परिषद की स्थापना 4 जुलाई 1966 को संसद द्वारा की गई थी, जिसका लक्ष्य ‘स्वतंत्र’ और साथ ही ‘जिम्मेदार’ प्रेस के दोहरे उद्देश्य को प्राप्त करना था। इसका संचालन शुरू करने में चार और महीने लगे, जिससे इसकी शुरुआत 16 नवंबर 1966 को शुरुआत हुई। 
वहीं प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, परिषद की अध्यक्षता पारंपरिक रूप से सुप्रीम कोर्ट के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश और 28 अतिरिक्त सदस्य करते हैं, जिनमें से 20 भारत में संचालित मीडिया आउटलेट्स के सदस्य हैं। पांच सदस्यों को संसद के सदनों से नामित किया जाता है और और बाकी शेष तीन सांस्कृतिक, कानूनी और साहित्यिक क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं। प्रेस की स्वतंत्रता सर्वोपरि है, क्योंकि यह सरकार और नागरीको के बीच की खाई को कम करता है। इसके अलावा, यह सिस्टम की खामियों की पहचान करने में मदद करता है और प्रचलित मुद्दों के संभावित समाधान के साथ आता है, जिससे ‘लोकतंत्र के चौथे स्तंभ’ के शीर्षक को सही ठहराया जा सके। प्रेस की अन्य बेजोड़ विशेषताओं में से एक यह है कि यह लोकतंत्र के अन्य तीन स्तंभों – कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका के विपरीत आम आदमी की भागीदारी को बढ़ावा देती है।

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