उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने शुक्रवार को कहा कि साल 2017 के बाद से राज्य के स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में आमूलचूल परिवर्तन हुआ है। पिछली सरकारों में स्वास्थ्य विभाग की क्या स्थिति थी, यह किसी से छिपी नहीं है। योगी सरकार की प्राथमिकता आमजन को उच्च स्तर का गुणवत्तापरक उपचार उपलब्ध कराना है। सरकारी अस्पतालों को अपग्रेड किया गया है और अत्याधुनिक मशीनें लगाई गई हैं।
ब्रजेश पाठक ने विधानसभा में कहा कि सरकार सभी जिलों में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करा रही है। ग्रामीण स्तर पर उच्च कोटि की स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से पांच हजार नए सब सेंटर खोले जाने के प्रस्ताव को भी हरी झंडी दी गई है। प्रदेश में 65 मेडिकल कॉलेज पूरी क्षमता के साथ काम कर रहे हैं। 18 नए मेडिकल कॉलेज भी खोले गए हैं। इन मेडिकल कॉलेजों के साथ ही 27 नए पैरा मेडिकल कॉलेज भी बनाए गए हैं। हर दिन हमारे अस्पतालों में दो लाख से अधिक मरीज आ रहे हैं। इसमें चिकित्सा शिक्षा से जुड़े संस्थानों की संख्या शामिल नहीं है।
उन्होंने कहा कि 2017 से पहले लोग सरकारी अस्पतालों में इलाज कराने से घबराते थे। निजी स्तर पर इलाज कराने पर घर की महिलाओं के जेवर और पुश्तैनी जमीनें तक बिक जाती थीं। अब ऐसा नहीं होता है। ग्रामीण स्तर पर कुत्ता काटने के बाद बचाव के इंजेक्शन उपलब्ध हैं। पिछली सरकारों के कार्यकाल में अस्पतालों को तबेला बना दिया गया था। वहां मवेशी बांधे जाते थे और भूसा भरा रहता था। इस समय 108 जनपदीय चिकित्सालय, 259 विशिष्ट चिकित्सालय, 972 सीएचसी, 3,735 पीएचसी, 25,774 स्वास्थ्य उपकेंद्र एवं 22,681 आयुष्मान आरोग्य मंदिरों के माध्यम से स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। पिछले वर्ष प्रदेश में 13 नए राजकीय मेडिकल कॉलेज और पीपीपी मोड के आधार पर तीन नए मेडिकल कॉलेज खोले गए। इतनी बड़ी संख्या में प्रदेश में कभी भी एक वर्ष में मेडिकल कॉलेज नहीं खुले हैं।
उपमुख्यमंत्री ने बताया कि प्रदेश की सभी स्वास्थ्य इकाइयों में ईडीएल ड्रग लिस्ट के अनुसार दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित की जा रही है। औसतन 280 दवाइयां, प्रत्येक जिला अस्पताल में उपलब्ध हैं। उन्होंने बताया कि सरकार ने सेवा नियमावली में बदलाव कर विशेषज्ञ चिकित्सकों की सीधी भर्ती की है। साल 2021 में 1,031, साल 2022 में 231 और साल 2024 में 312 विशेषज्ञ चिकित्सकों को नियुक्ति प्रदान की गई है। नर्सों और फार्मासिस्टों की कमी नहीं है।