डेनमार्क की एक स्टडी ने गर्भनिरोधक गोलियों के सेवन से महिलाओं में स्ट्रोक और हार्ट अटैक का खतरा बढ़ने की चेतावनी दी है। इस रिसर्च में 15 से 49 वर्ष की उम्र की 20 लाख महिलाओं को ट्रैक किया गया, जिसमें एस्ट्रोजन-प्रोजेस्टिन युक्त गोलियों से स्ट्रोक का खतरा 2.4 गुना और हार्ट अटैक का खतरा 3.8 गुना अधिक पाया गया।
Hormonal contraceptives: अक्सर महिलाएं अनचाही गर्भावस्था से बचने के लिए गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन करती हैं. हालांकि, सामाजिक शर्म और जानकारी की कमी के कारण कई बार महिलाएं डॉक्टर की सलाह लिए बिना ही इन दवाओं का उपयोग शुरू कर देती हैं. इससे स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है.
आपातकालीन गर्भनिरोधक गोली, जिसे आमतौर पर ‘मॉर्निंग-आफ्टर पिल’ कहा जाता है, असुरक्षित यौन संबंध के बाद गर्भधारण से बचने के लिए ली जाती है. एक्स्पर्ट्स का मानना है कि इन गोलियों को असुरक्षित संबंध के बाद जितनी जल्दी लिया जाए, उतना ही प्रभावी होता है. इस दौरान सबसे प्रभावी समय 24 घंटे के भीतर लेना सही होता है, लेकिन 72 घंटे के भीतर लिए जाने पर भी गर्भधारण से बचा जा सकता है.
अधिक सेवन के दुष्परिणाम
एक्सपर्ट्स चेतावनी देते हैं कि बार-बार या आवश्यकता से अधिक इमरजेंसी पिल का उपयोग करने से शरीर में हार्मोनल असंतुलन हो सकता है. इसके परिणामस्वरूप मासिक धर्म अनियमित हो सकते हैं और एक्टोपिक प्रेग्नेंसी (गर्भाशय के बाहर गर्भ ठहरना) का खतरा भी बढ़ जाता है.
डेनमार्क में हुई स्टडी के चौंकाने वाले निष्कर्ष
हाल ही में डेनमार्क में हुई एक बड़ी स्टडी ने हार्मोनल गर्भनिरोधक गोलियों के जोखिमों पर प्रकाश डाला है. इस रिसर्च में 15 से 49 वर्ष की उम्र की 20 लाख से अधिक महिलाओं को 25 वर्षों तक ट्रैक किया गया.
इस दौरान अध्ययन में शामिल गर्भनिरोधक उपायों में एस्ट्रोजन-प्रोजेस्टिन युक्त गोलियां, वजाइनल रिंग्स, स्किन पैच, प्रोजेस्टिन-ओनली पिल्स, इंट्रायूटेरिन डिवाइस (IUD), त्वचा के नीचे इम्प्लांट इंट्रामस्क्युलर इंजेक्शन शामिल थे.
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अध्ययन के प्रमुख निष्कर्ष:
1- एस्ट्रोजन/प्रोजेस्टिन गोलियों का सेवन करने वाली महिलाओं में स्ट्रोक का खतरा 2.4 गुना और हार्ट अटैक का खतरा 3.8 गुना अधिक पाया गया.
2-प्रोजेस्टिन-ओनली गोलियां और इम्प्लांट भी जोखिम बढ़ाते हैं, लेकिन संयुक्त गोलियों की तुलना में कम.
3-वजाइनल रिंग्स और स्किन पैच भी स्ट्रोक और दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ाते हैं.
4-लेवोनोर्गेस्ट्रेल-रिलीजिंग IUD एकमात्र ऐसा विकल्प रहा, जो किसी भी अवधि में हृदय रोगों से जुड़ा नहीं पाया गया.
स्टडी में इन महिलाओं को नहीं किया गया शामिल
इस रिसर्च में वे महिलाएं शामिल नहीं थीं जो पहले से निम्न में से किसी स्थिति से पीड़ित थीं जैसे कि:
1-ब्लड क्लॉटिंग की समस्या
2-कैंसर
3-लिवर या किडनी संबंधी बीमारी
4-पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS)
5-एंडोमेट्रियोसिस
6-फर्टिलिटी ट्रीटमेंट लेने वाली महिलाएं
स्टडी में इन सभी बीमारियों से जूझ रही महिलाओं को गर्भनिरोधक गोलियों को लेने के लिए मना किया गया है.