रूस-यूक्रेन संघर्ष को खत्म करने के लिए शांति वार्ता तुर्की में हो रही है। पुतिन वार्ता में शामिल नहीं होंगे, जिससे किसी बड़े फैसले की संभावना कम है। रूस ने अपने प्रतिनिधिमंडल के नामों की घोषणा कर दी है, जिसकी अगुवाई व्लादिमीर मेडिंस्की करेंगे।
Russia-Ukraine peace talks: रूस और यूक्रेन के बीच पिछले तीन सालों से जारी संघर्ष को खत्म करने के लिए आज यानी गुरूवार को एक बार फिर शांति वार्ता शुरू हो रही है. यह वार्ता तुर्की में आयोजित की जा रही है. क्रेमलिन ने वार्ता से पहले अपने प्रतिनिधिमंडल के नामों की घोषणा कर दी है, जिससे यह स्पष्ट हो गया है कि राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन खुद तुर्की नहीं जा रहे हैं. पुतिन की गैरमौजूदगी के चलते पहले चरण की वार्ता में किसी बड़े फैसले की उम्मीद कम है.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने 14 मई को कहा था कि उनका देश वार्ता में आगे का कदम तभी उठाएगा जब रूस अपने प्रतिनिधियों की जानकारी साझा करेगा. अब रूस की ओर से यह स्पष्ट कर दिया गया है कि उनके प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व राष्ट्रपति के सलाहकार व्लादिमीर मेडिंस्की करेंगे. इस टीम में रूसी उप विदेश मंत्री मिखाइल गालुज़िन, सैन्य खुफिया प्रमुख इगोर कोस्त्युकोव और उप रक्षा मंत्री अलेक्जेंडर फोमिन भी शामिल होंगे.
क्या फिर से होगी 2022 जैसी वार्ता?
रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने युद्धविराम लागू करने से पहले ही बातचीत शुरू करने पर ज़ोर दिया है. दूसरी ओर, ज़ेलेंस्की ने वार्ता में भाग लेने के लिए तुर्की जाने की बात कही है और पुतिन को भी आमंत्रित किया, लेकिन पुतिन ने आने से इनकार कर दिया है.
रूस का कहना है कि 15 मई की यह बातचीत, 2022 में शुरू की गई शांति वार्ता की एक नई शुरुआत होगी. उस समय तुर्की में बातचीत हुई थी, लेकिन यूक्रेन ने पश्चिमी देशों के दबाव में पीछे हटने का फैसला किया था.
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2022 की शांति योजना क्या थी?
2022 में जो शांति प्रस्ताव तैयार किया गया था, उसके अनुसार दोनों पक्ष इस बात पर सहमत थे कि क्रीमिया को उस समझौते से बाहर रखा जाएगा, जिसका मतलब था कि वह रूस के कब्जे में रहेगा लेकिन यूक्रेन उसे औपचारिक मान्यता नहीं देगा.
अन्य विवादित क्षेत्रों पर फैसला ज़ेलेंस्की और पुतिन के बीच सीधी बातचीत से होना था. प्रस्ताव के अनुसार, यूक्रेन नाटो या किसी अन्य सैन्य संगठन में शामिल नहीं होगा, लेकिन उसे यूरोपीय संघ में शामिल होने की अनुमति होगी. रूस ने इस समझौते के तहत मांग की थी कि उस पर लगाए गए सभी प्रतिबंध हटाए जाएं, यूक्रेन अपने भाषा और पहचान से जुड़े कानून वापस ले, और उसकी सेना को सीमित कर दिया जाए.