आखिर क्यों पाकिस्तान में यह मुस्लिम समुदाय नहीं मना पाएगा बकरीद? जानें वजह - Punjab Kesari
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आखिर क्यों पाकिस्तान में यह मुस्लिम समुदाय नहीं मना पाएगा बकरीद? जानें वजह

पाकिस्तान में बकरीद पर रोक, मुस्लिम समुदाय परेशान

पाकिस्तान में अहमदिया मुस्लिम समुदाय को इस बार बकरीद मनाने की अनुमति नहीं दी गई है। पंजाब प्रांत में कानूनी कदम उठाए गए हैं ताकि वे ईद की नमाज, कुर्बानी और अन्य धार्मिक रिवाजों से दूर रहें। मानवाधिकार संगठनों ने इस निर्णय की निंदा करते हुए इसे धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन बताया है।

Pakistan News: इस साल सऊदी अरब में 27 मई को जुल-हिज्जा का चांद नजर आया, जिसके आधार पर तय हुआ कि वहां 6 जून को बकरीद (ईद-उल-अजहा) मनाई जाएगी. वहीं, भारत में यह त्योहार एक दिन बाद यानी 7 जून को मनाया जाएगा. ऐसे में पाकिस्तान में अहमदिया मुस्लिम समुदाय को इस बार बकरीद मनाने की अनुमति नहीं दी गई है. लगभग 5 लाख की आबादी वाले इस समुदाय को पंजाब प्रांत में ईद से जुड़ी धार्मिक गतिविधियां करने से रोकने के लिए कानूनी कदम उठाए गए हैं.

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान की मरियम नवाज की सरकार के दौरान लाहौर हाई कोर्ट बार एसोसिएशन (एलएचसीबीए ) ने पंजाब पुलिस को एक आधिकारिक पत्र जारी किया है, जिसमें साफ निर्देश दिए गए हैं कि अहमदिया समुदाय को ईद की नमाज, कुर्बानी और अन्य धार्मिक रिवाजों से रोका जाए. इसके साथ ही उनसे शपथपत्र भरवाया जा रहा है जिसमें वे यह वादा करते हैं कि वे बकरीद से जुड़ी कोई भी धार्मिक परंपरा नहीं निभाएंगे.

केवल ‘कानूनी मुसलमानों’ को इजाजत

कोर्ट का कहना है कि बकरीद एक इस्लामी पर्व है, जिसे सिर्फ वे लोग मना सकते हैं जिन्हें पाकिस्तान का कानून मुसलमान मानता है. अहमदिया समुदाय को पाकिस्तान के कानून के अनुसार मुसलमान नहीं माना जाता, इसलिए उन्हें इस्लामी प्रतीकों या रिवाजों का प्रयोग करने की अनुमति नहीं दी जा सकती.

चिट्ठी में और क्या कहा गया?

चिट्ठी में यह भी कहा गया है कि अहमदिया समुदाय के लोग इस्लामी प्रतीकों का उपयोग करके न केवल संविधान का उल्लंघन कर रहे हैं, बल्कि इससे बहुसंख्यक मुसलमानों की धार्मिक भावनाएं भी आहत हो रही हैं.

इस आधार पर पुलिस से मांग की गई है कि ईद के दिन इस समुदाय की सभाओं पर रोक लगाई जाए और धार्मिक गतिविधियों में भाग लेने पर उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए.

अहमदिया समुदाय से भरवाए जा रहे शपथपत्र

पंजाब के गृह विभाग के एक अधिकारी के अनुसार, अहमदिया समुदाय से पहले से ही शपथपत्र और इम्यूनिटी बॉन्ड भरवाए जा रहे हैं. इनमें उनसे यह वादा लिया जाता है कि वे न तो ईद की नमाज पढ़ेंगे, न कुर्बानी देंगे और न ही किसी प्रकार के इस्लामी चिन्हों का प्रयोग करेंगे. यदि वे ऐसा करते हैं, तो उन पर जुर्माना लगाया जाएगा. यह कार्रवाई पाकिस्तान पीनल कोड की धारा 298-बी और 298-सी के तहत की जा रही है.

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मानवाधिकार संगठनों की कड़ी प्रतिक्रिया

इस दौरान मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने इस पूरे घटनाक्रम की निंदा करते हुए इसे धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन और खुले तौर पर भेदभावपूर्ण बताया है.

उनका कहना है कि यह कदम अहमदिया समुदाय के मूलभूत धार्मिक अधिकारों को छीनता है. पाकिस्तान में लाखों अहमदिया रहते हैं, लेकिन लंबे समय से उन्हें सामाजिक और धार्मिक रूप से अलग-थलग किया जा रहा है.

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