कौन थे जासूस एली कोहेन? जिन्हें दुश्मन देश की सरकार में दी जाने वाली थी बड़ी जिम्मेदारी - Punjab Kesari
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कौन थे जासूस एली कोहेन? जिन्हें दुश्मन देश की सरकार में दी जाने वाली थी बड़ी जिम्मेदारी

एली कोहेन: दुश्मन देश की सरकार में पहुंचने वाले जासूस

एली कोहेन, इजरायली जासूस, जिन्होंने सीरिया की सरकार में गुप्त रूप से प्रवेश कर महत्वपूर्ण खुफिया जानकारी इजरायल को दी। उनकी चालाकी ने 1967 की सिक्स डे वॉर में इजरायल की जीत में अहम भूमिका निभाई। उनकी गिरफ्तारी के बाद उन्हें मौत की सजा दी गई, लेकिन उनकी विरासत आज भी जिंदा है।

Detective Eli Cohen: ऑपरेशन सिंददोर के बाद से ही भारत के विभिन्न हिस्सों में पाकिस्तानी जासूसों के खिलाफ सख्त कार्रवाई देखने को मिल रही है.हरियाणा की ज्योति मल्होत्रा से लेकर पंजाब की गजाला तक, कई लोग जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किए गए हैं.लेकिन क्या आपने कभी उस जासूस की कहानी सुनी है जिसने दुश्मन देश में जाकर न सिर्फ उनकी सरकार का भरोसा जीता, बल्कि एक समय ऐसा आया जब उसे उस देश का डिप्टी डिफेंस मिनिस्टर बनाए जाने की बात होने लगी? हम बात कर रहे हैं इजरायल के महान जासूस एली कोहेन की.

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, एली कोहेन का जन्म 6 दिसंबर 1924 को मिस्र के एलेक्जेंड्रिया शहर में एक यहूदी परिवार में हुआ था. युवावस्था में ही उन्होंने यहूदी समाज के लिए कार्य करना शुरू कर दिया और “ऑपरेशन लेवोन अफेयर” के तहत मिस्र में रह रहे यहूदियों को सुरक्षित इजरायल पहुंचाने का बीड़ा उठाया.

मिस्र छोड़ इजरायल में ली शरण

1956 में स्वेज नहर संकट के बाद एली कोहेन को मिस्र छोड़ना पड़ा और उन्होंने इजरायल में शरण ली. कुछ समय बाद उन्हें इजरायली सेना में काउंटर इंटेलिजेंस एनालिस्ट और ट्रांसलेटर के रूप में नियुक्त किया गया.हालांकि, इस काम में उन्हें संतोष नहीं मिला और जब उन्होंने मोसाद में शामिल होने की कोशिश की, तो उन्हें नकार दिया गया.निराश होकर उन्होंने सेना छोड़ दी और एक इंश्योरेंस कंपनी में नौकरी करने लगे.

मोसाद में एंट्री और सीरिया में मिशन

कुछ समय बाद मोसाद के निदेशक मायर अमीत को एक ऐसे एजेंट की जरूरत पड़ी जो सीरिया की सरकार में गुप्त रूप से प्रवेश कर सके. एली की भाषाओं पर पकड़ (अरबी, हिब्रू और फ्रेंच) और अरब संस्कृति की समझ को देखते हुए उन्हें इस मिशन के लिए चुना गया.

मोसाद ने उन्हें एक अमीर सीरियाई व्यापारी ‘कामेल अमीन थाबेत’ की नई पहचान दी. सीरिया में सीधे प्रवेश संभव न होने के कारण एली को पहले अर्जेंटीना भेजा गया जहां उन्होंने सीरियाई बाथ पार्टी और सैन्य अधिकारियों से संबंध बनाए.

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सीरिया की सत्ता तक पहुंच

1963 में बाथ पार्टी ने सीरिया की सत्ता अपने हाथ में ली.चूंकि एली पहले से ही इस पार्टी और कई सैन्य अधिकारियों के करीबी बन चुके थे, वे सीरिया जाकर सीधे राजधानी दमिश्क में बस गए.उन्होंने वहां एक ऐसा घर किराए पर लिया जिससे तमाम सरकारी इमारतें नजर आती थीं, और वहीं से उन्होंने कई खुफिया जानकारियां एकत्रित कीं.

डिप्टी डिफेंस मिनिस्टर बनने की बात

एली कोहेन की काबिलियत और उनके बनाए गए रिश्तों के चलते सीरियाई सरकार का उन पर इतना विश्वास हो गया था कि उन्हें डिप्टी डिफेंस मिनिस्टर बनाने की योजना तक बनने लगी थी.1961 से 1965 तक उन्होंने इजरायल को अनेक गोपनीय जानकारियां दीं और तीन बार गुप्त रूप से इजरायल की यात्रा भी की.

गोलन हाइट्स की चालाकी और सिक्स डे वॉर

एली का सबसे अहम मिशन गोलन हाइट्स का था, जहां उन्होंने सीरियाई सेना की तैनाती का गहराई से निरीक्षण किया. उन्होंने सैनिकों के लिए पेड़ लगवाने का सुझाव दिया और इसके पीछे छिपी उनकी रणनीति ये थी कि इजरायली सेना इन पेड़ों के आधार पर दुश्मन की लोकेशन का पता लगा सके. 1967 की सिक्स डे वॉर में यह रणनीति इजरायल की बड़ी जीत का कारण बनी.

गिरफ्तारी और बलिदान

1965 में एक गोपनीय संदेश भेजने के दौरान सीरिया की काउंटर इंटेलिजेंस एजेंसी ने एली को पकड़ लिया. उन्हें बेरहमी से यातनाएं दी गईं और एक सैन्य अदालत ने उन्हें मौत की सजा सुनाई .आखिरकार, दमिश्क के एक चौराहे पर उन्हें फांसी दे दी गई.

मौत के बाद भी बना रहा असर

एली कोहेन की मौत के दशकों बाद भी उनकी विरासत जिंदा है. उनकी जासूसी से जुड़ी करीब ढाई हजार फाइलों को वापस पाने के लिए मोसाद को वर्षों बाद सीरिया में एक और गुप्त ऑपरेशन चलाना पड़ा.

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